किसी कार्बोक्सिलिक अम्ल के एल्किल मूलकों में से हाइड्रोजन परमाणुओं का प्रतिस्थापन ऐमीनो समूह की समान संख्या से होने पर प्राप्त कार्बनिक अम्ल एमीनो अम्ल (amino acid in hindi) कहलाते हैं ।
जैसे - H.CH2COOH---->H2N.CH2COOH ऐसीटिक अम्ल + (-NH2) ऐमीनोऐसीटिक अम्ल (ग्लाइसीन)
ऐमिनो अम्ल की परिभाषा | definition of amino acid in hindi
ऐमीनो अम्ल की परिभाषा - "उन पदार्थों को जिनमें कम से कम एक ऐमीनो (NH2) तथा एक कार्बोक्सिल ( COOH) मूलक होता है, ऐमीनो अम्ल कहते हैं ।"
इनका सामान्य सूत्र R-CH-COOH होता है
NH2
जिसमें केवल R परिवर्तित होता है ।
ऐमिनो अम्ल के सामान्य गुण -
- ऐमीनो अम्ल प्रायः मीठे स्वादयुक्त, रवेदार पदार्थ होते हैं ।
- यह जल में घुलनशील किन्तु ऐल्कोहॉल तथा ईथर में अघुलनशील होते हैं ।
- प्रायः एक ऐमीनी तथा एक कार्बोक्सिल समूह की उपस्थिति के कारण ऐमीनो अम्ल उभयधर्मी (amphoteric) होते हैं ।
आवश्यक ऐमिनो अम्ल (amino acid in hindi) क्या है , परिभाषा, वर्गीकरण एवं महत्व लिखिए |
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ऐमिनो अम्ल तीन प्रकार के होते है -
1. ऐलिफैटिक ऐमीनो अम्ल -
( i ) अम्लीय ऐमिनो अम्ल - एस्पार्टिक अम्ल, एस्परजीन, ग्लूटैमिक अम्ल, ग्लूटेमीन( ii ) क्षारीय ऐमिनो अम्ल - आर्जिनिन लाइसीन, हाइड्रॉक्सीलाइसीन, ऑर्निथीन
( iii ) उदासीन ऐमिनो अम्ल - ग्लाइसीन, ऐलानीन, वेलीन, ल्यूसीन, मेथियोनीन
2. ऐरोमैटिक ऐमीनो अम्ल -
उदहारण - फेनिलऐलानीन, टायरोसीन3. विषम चक्रीय ऐमीनो अम्ल -
उदहारण - प्रोलीन हाइड्रॉक्सीप्रोलीन हिस्टिडीन ट्रिप्टोफेनआवश्यक अमीनो अम्ल क्या है | essential amino acid in hindi
आवश्यक ऐमीनो अम्ल, दस ऐमिनो अम्ल ऐसे हैं जो जन्तु शरीर में इसकी वृद्धि, विकास एवं निर्वाह की आवश्यकता के लिए अन्य पदार्थों से संश्लेषित नहीं हो सकते । अतः इन्हें आवश्यक ऐमीनो अम्ल कहते हैं । जन्तुओं को ये ऐमीनो अम्ल भोजन की प्रोटीन से उपलब्ध होने चाहिये ।
आवश्यक अमीनो ऐमीनो अम्लों की सूची -
- वेलीन ( Valine )
- ल्यूसीन ( Leucine )
- आइसोल्यूसीन ( Isoleucine )
- थिओनीन ( Threonine )
- मेथियोनीन ( Methionine )
- आर्जिनिन ( Arginine )
- लाइसीन ( Lysine )
- फेनिल ऐलानीन ( Phenyl alanine )
- हिस्टिडीन ( Hystidine )
- ट्रिप्टोफेन ( Tryptophane )
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भोजन की प्रोटीन के जल अपघटन से लगभग 22 ऐमीनो अम्लों का मिश्रण प्राप्त होता है । इनमें से 10 शारीरिक वृद्धि के लिये आवश्यक होते हैं और शेष अनावश्यक ऐमीनो अम्ल (essential amino acid in hindi) कहलाते हैं ।
अनावश्यक ऐमीनो अम्ल निम्न प्रकार के होते है -
1. आवश्यक ऐमीनो अम्ल - वेलीन, लायसीन, आरजिनिन, हिस्टीडीन, ल्युसीन, आइसोल्युसीन फॅनिल ऐलानिन, मेथियोनिन, थ्रियोनिन तथा ट्रिप्टोफेन ।
2. अनावश्यक ऐमीनो अम्ल - ग्लाइसीन, ऐलानीन, सीरीन, टायरोसीन, प्रोलीन, हाइड्रॉक्सी प्रोलीन, एस्पारटिक अम्ल, सिट्रूलीन, सिस्टीन, सिस्टाइन, ग्लूमेटिक अम्ल तथा हाइड्रॉक्सी ग्लूटेमिक अम्ल ।
आवश्यक ऐमीनो अम्ल जन्तु शरीर में इसकी सामान्य वृद्धि तथा निर्वाह हेतु शरीर में अन्य पदार्थों से संश्लेषित नहीं हो सकते । यही कारण है कि उपरोक्त 10 ऐमीनो अम्लों को आवश्यक ऐमीनो अम्ल कहते हैं । आवश्यक ऐमीनो अम्ल जन्तुओं को भोजन की प्रोटीन से प्राप्त होने चाहियें ।
आवश्यक (अनिवार्य) ऐमीनो अम्लों का पोषण में महत्त्व | importance of amino acid in hindi
ऐमीनो अम्लों का निम्न महत्व है -
- ये जन्तुओं के शरीर की वृद्धि एवं निर्वाह करने में काम आते हैं । भोजन में किसी एक की कमी होने पर सामान्य वृद्धि रुक जाती है और निरन्तर कमी से मृत्यु हो जाती है ।
- ये प्रोटीन, एन्जाइम तथा हॉर्मोन्स का निर्माण करते हैं ।
- ये शरीर में नवीन ऊतकों के निर्माण, पुराने ऊतकों की टूट - फूट व मरम्मत में सहायक हैं ।
- ये आंशिक रूप से कार्बोहाइड्रेट व वसाओं की भाँति शरीर में ऊर्जा का उत्पादन करते हैं ।
- आमाशय सम्बन्धी भयंकर घावों (ulcer) को जिनका शल्य चिकित्सा (surgery) द्वारा उपचार नहीं किया जा सकता, ये शीघ्रतापूर्वक ठीक कर देते हैं ।
आवश्यक ऐमीनो अम्लों का पौधों में महत्त्व बताइए
आवश्यक ऐमीनो अम्लों का पौधों में महत्त्व पौधों में प्रोटीन का निर्माण ऐमीनो अम्लों के परस्पर संयोग से पेप्टाइड कड़ियों (units) द्वारा होता है ।
वास्तव में प्रोटीन के जल अपघटन से ऐमीनो अम्ल प्राप्त होते हैं जो यह प्रदर्शित करते हैं कि ऐमीनो अम्ल प्रोटीन्स के अणओं की रचनात्मक इकाइयाँ होते हैं ।
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ऐमीनो अम्लों के सामान्य गुण -
- अधिकांश ऐमीनो अम्ल रंगहीन, रवेदार ठोस पदार्थ होते हैं जो लगभग 300° से. पर अपघटित होकर पिघल जाते हैं ।
- ये प्रायः मीठे स्वादयुक्त होते हैं किन्तु ल्यूसीन स्वादहीन और आइसोल्यूसीन व आर्जिनीन कड़वी होती हैं ।
- घुलनशीलता - टायरोसीन तथा सिस्टीन के अतिरिक्त अन्य ऐमीनो अम्ल जल में घुलनशील होते हैं । तनु अम्ल तथा क्षारों में सभी एमीनो अम्ल विलेय होते हैं । ये ईथर तथा ऐल्कोहॉल आदि कार्बनिक विलायकों में प्राय: अविलेय होते हैं ।
- उभयधर्मी (amphoteric) गुण - प्रायः एक ऐमीनो तथा एक कार्बोक्सिल समूह की उपस्थिति के कारण ऐमीनो अम्ल उभयधर्मी होते हैं ।
- प्रकाश सक्रियता (optical activity) - ग्लाइसीन के अतिरिक्त अन्य सभी ऐमीनो अम्ल असममित (asymmetric) कार्बन परमाणु की उपस्थिति के कारण प्रकाश सक्रिय होते हैं । कुछ ऐमीनो अम्ल दक्ष भ्रामक (dextro - rotatory) तथा कुछ वाम - भ्रामक (laevo rotatory) होते हैं ।
- विन्यास (configuration) - सभी प्राकृतिक ऐमीनो कार्बन के अम्लों का विन्यास होता है अर्थात ऐमीनो समूह परमाणु बायीं ओर तथा हाइड्रोजन परमाणु दाहिनी ओर जुड़ा होता है ।
- द्विध्रुवी या ज्वीटर आयन (dipolar or zwitter lon) - जलीय घोल में ऐमीनो अम्ल का ऐमीनो समूह कार्बोक्सिल समूह से प्रोटॉन ( हाइड्रोजन आयन ) ग्रहण कर घन आवेशित हो जाता है और कार्बोक्सिल समूह ऋण आवेशित हो जाता है । इस प्रकार प्राप्त द्वि-आवेशित आयन को द्विध्रुवी या ज्वीटर आयन कहते हैं । इसी गुण के कारण ऐमीनो अम्ल जल में विलेय और कार्बनिक विलायकों में अविलेय होते हैं ।
- समविभव विन्दु (isoclectric point) - अम्लीय माध्यम में ऐमीनो अम्ल धन आवेशित होने के कारण विद्युत धारा प्रवाहित करने पर ऋाणोद (cathode) की ओर व क्षारीय माध्यम में ऋण आवेशित होने के कारण धनोद (anode) की ओर गमन करते हैं । वह पी एच मान जिस पर ऐमीनो अम्ल के अणु जलीय विलयन में किसी भी इलेक्ट्रॉड की ओर अभिगमन नहीं करते और उस पर समस्त विद्युत आवेशा शून्य होता है, समविभव विन्दु कहलाता है । ग्लाइसीन तथा ऐलेनीन के समविभव बिन्दु 6 पी एच हैं । समविभव विन्दु पर ऐमीनो अम्ल की विलेयता न्यूनतम होती है । अत: इस पी एच मान पर इसका अवक्षेपण शीघ्र होता है ।