जब दो भिन्न-भिन्न जातियों का संकरण करने से अधिक ओजपूर्ण शंकर उत्पन्न होती है तो उसे हैटेरोसिस (heterosis in hindi) अथवा संकर ओज (hybrid vigor in hindi) कहते हैं ।
हैटेरोसिस (संकर ओज) सन् 1914 में शुल ने प्रस्तुत किया था ।
एक निधि पर एलील्स की अन्योन्य क्रिया से संकर ओज या हैटेरोसिस (hybrid vigor in hindi) उत्पन्न होती है, यह कथन ईस्ट ने सन् 1936 में दिया था ।
संकर ओज क्या है? | heterosis in hindi | hybrid vigor in hindi
अपने जनकों से F₁ संकर की अधिक ओजपूर्णता को संकर ओज कहते हैं ।
"The increased vigour of Fy over its parents is known as heterosis."
संकर ओज (heterosis in hindi) भिन्न स्तरों परं हो सकती है -
- F₁ का अपने किसी भी जनक से ओजपूर्ण होना ।
- F₁ का दोनों जनकों के मध्यमान (mean or average) से ओजपूर्ण होना ।
- F₁ का सर्वोत्तम जनक से ओजपूर्ण होना ।
मुख्यतः F₁ संकर की दोनों जनकों के मध्यमान या सर्वोत्तम जनक से ओजपूर्णता को संकर ओज (heterosis in hindi) कहते हैं । प्रयोगात्मक रूप से यह लाभदायक होती है ।
"The increased vagour of F₁ over the mean of the parents or over the better parent is called heterosis."
संकर ओज (heterosis in hindi) क्या है इसके प्रमुख प्रकार एवं कारण व उपयोगिता लिखिए |
ये भी पढ़ें:-
संकर ओज की परिभाषा | definition of heterosis in hindi
संकर ओज की परिभाषा - "यह एक अनुवांशिक क्रिया है जिसमें F₁ संकर सन्तति की जनकों की तुलना में श्रेष्ठता एवं निकृष्टता को ही संकर ओज या हैटेरोसिस कहते है ।"
इसके अलावा F₁ की सर्वोत्तम जनक से अधिक ओजपूर्णता हैटैरोबैल्टिओसिस (heterobeltiosis in hindi) कहलाती है ।
संकर ओज कितने प्रकार की होती है? types of heterosis in hindi
संकर ओज दो प्रकार की होती हैं -
- सत्य संकर ओज ( Euheterosis Heterosis )
- असत्य संकर ओज ( Pseudo Heterosis )
1. सत्य संकर ओज ( Euheterosis Heterosis ) -
किसी अनुवांशिक संरचना का किसी हाइब्रिड पर ऐसा प्रभाव जिसके कारण उसकी प्रजनन की क्षमता बढ़ जाती हो उसे सत्य संकर ओज (euheterosis heterosis in hindi) कहा जाता है ।
2. असत्य संकर ओज ( Pseudo Heterosis ) -
जब दो जनकों में संकरण के बाद उत्पन्न हाइब्रिड के किसी एक या एक से अधिक ऐसे लक्षण की वानस्पतिक अभिव्यक्ति जनकों से अधिक होती है तो उसे ही असत्य संकर ओज (pseudo heterosis in hindi) कहा जाता है ।
ये भी पढ़ें:-
संकर ओज उत्पन्न होने के प्रमुख कारण | causes of heterosis in hindi
संकर ओज (हैटेरोसिस) उत्पन्न होने के कारणों की विधि के लिये विभिन्न वैज्ञानिकों ने भिन्न - भिन्न वाद दिये हैं ।इन वादों को दो भागों में रखा जा सकता है —
- शरीर क्रियात्मक वाद ( Physiological theories )
- आनुवंशिक वाद ( Genetical theories )
( A ) शरीर क्रियात्मक वाद ( Physiological Theories )
इन वादों को मानने वाले वैज्ञानिकों का विचार है कि संकर ओज (heterosis in hindi) दैहिक उत्तेजना के कारण उत्पन्न होती है ।
इनमें से यह वाद प्रमुख हैं -
1. बृहत आरम्भिक भ्रूण परिकल्पना ( Greater Initial Capital Hypothesis ) -
इशबाई ( Ashby 1930 ) ने संकर उत्पन्न करने के लिये यह वाद दिया था ।
उनका कथन था - "Heterosis is nothing more than the maintenance of an initial advantages in the embryosac."
संकर ओज 'greater initial capital' अर्थात् भ्रूण (embryo) का परिमाण (size) बड़ा होने के कारण उत्पन्न होती है अर्थात् जिन बीजों में भ्रूण का परिमाण बड़ा होता है वे अधिक शक्तिशाली सन्तान उत्पन्न कर सकते हैं । हालांकि एशबाई के ऑकड़े उसके वाद के अनुसार थे परन्तु इस प्रकार का सम्बन्ध सर्वव्यापी नहीं पाया गया ।
परन्तु इस विचार को अन्य वैज्ञानिकों ने मान्यता नहीं दी क्योंकि कई पौधों में भ्रूण का परिमाण अपेक्षाकृत छोटा होने पर भी संकर ओज (heterosis in hindi) देखी गई ।
( B ) आनुवंशिक वाद ( Genetical theories )
यह प्रमाणित है कि संकर ओज (heterosis in hindi) किसी एक आनुवंशिक (genetic) कारण से नहीं होती है जैसा कि बहुत से वादों की विवेचना से पता चलता है जेड ( हेज 1946 ) ।
1. कोशिका - द्रव्यी केन्द्रकीय प्रतिक्रिया ( Cytoplasmic Nuclear Reaction ) -
ए० एफ० शल ( A. F. Shull, 1912 ), लेविस ( Lewis ) तथा कुछ अन्य वैज्ञानिकों की धारणा है कि साइटोप्लाज्म तथा परिवर्तित न्यूक्लियस की प्रतिक्रिया के शरीर क्रियात्मक प्रभाव के परिणामस्वरुप संकर ओज उत्पन्न होती है ।
"The effects of changed nucleus and a relatively unchanged cytoplasm." ( A. F. Shull )
2. शरीर क्रियात्मक उद्दीपन या विषमयुग्मजता परिकल्पना ( Cytoplasmic Stimulus or Heterozygosity Hypothesis ) -
संकर ओज उत्पन्न करने के लिये सबसे पहले शल ( G. H. Shull ) ने 1910 में यह वाद दिया । उसके अनुसार संकर ओज विषमयुग्मजता होने के कारण उत्पन्न होती है परन्तु उन्होंने यह नहीं सोचा कि इसकी मेंडेलियन आधार पर व्याख्या की जा सकती है । संकरण करने से विषमयुग्मजता (heterozygosity) बढ़ जाती है तथा विषमयुग्मजता से उत्तेजना (stimulus) मिलती है । इसके विपरीत समयुग्मजता बढ़ने से ओज घटती है ।
ये भी पढ़ें:-
ईस्ट तथा हेज़ ( 1912 ) ने शल के विचारों की संक्षेप में निम्नलिखित व्यख्या दी -
"प्राकृतिक पर निषेचित जातियों में अन्तः प्रजनन के कारण ओज का घटना तथा स्वनिषेचित जातियों में संकरण से बढ़ी हुई ओज एक ही घटना को प्रकट करते हैं । यह घटना विषमयुग्मजता है । संकरण से, उन सब गुणों में जिनमें जनकों में अन्तर होता है, से विषमयुग्मजता उत्पन्न होती है । अन्तः प्रजनन से स्वतः समयुग्मजता उत्पन्न होती है ।"
अन्तः प्रजनन से ओज घटने की प्रक्रिया को अन्तः प्रजनन अवनमन (Inbreeding depression) कहते हैं ।
3. प्रभावीकारक परिकल्पना ( Dominant Factor Hypothesis ) -
यह वाद सबसे अधिक माना जाता है । इस वाद को ब्रूस ( 1910 ) कीबिल एवं पेलिव ( 1910 ) ने प्रस्तुत किया था । उनके अनुसार संकर ओज उपयुक्त प्रभावी जीन्स के संयुक्त प्रभाव से उत्पन्न होती है । अर्थात् F₁ संकर में दोनों जनकों से अधिक प्रभावी कारक एकत्र हो जाने से संकर ओज (heterosis in hindi) उत्पन्न हो जाती है ।
इनको निम्न प्रकार से प्रदर्शित किया जा सकता है -
Parents -Male AB BB CC dd ee ff × Female aa bb cc DD EE FF F
F₁ hybrid Aa Bb Cc Dd Ee Ff F
उपरोक्त संयोग से ABC प्रधान कारक नर से तथा DEF मादा से आते हैं । F₁ में सभी प्रभावी कारक एकत्र हो जाते हैं जिससे संकर ओज उत्पन्न होती है ।
इस वाद के दो आक्षेप हैं -
- यदि यह ठीक है तो ऐसे व्यक्ति उत्पन्न किये जा सकते है जो सभी प्रभावी कारकों के लिये समयुग्मजी हों । ये ओज बंटन में F के बराबर होने चाहियें । परन्तु ऐसा नहीं पाया जाता है ।
- F½ में वक्र रेखा तिरछी होनी चाहिये । परन्तु F₁ पीढ़ी सममित होती है ।
4. सहलग्न प्रभावी जीन उपकल्पना ( Linked dominant gene hypothesis ) -
जोन्स ( 1917 ) ने ब्रूस के वाद को मान्यता दी तथा इसमें सहलग्नता का विचार (concept of linkagae) जोड़ दिया अर्थात् संकर ओज (heterosis in hindi) प्रभावी सहलग्न जीन्स के एक साथ आने से उत्पन्न होती है । जोन्स के अनुसार F₁ में समयुग्मजी व्यक्तियों तथा तिरछा बंटन वक्र सहलग्नता के कारण नहीं मिलता है ।
5. अति प्रभाविता वाद ( Super dominance or over dominance hypothesis ) -
संगत निधि स्तर पर समयुग्मजी जीनोटाप से विषमयुग्मजी की उत्कृष्टता (superiority) के इस वाद को फिशर ( 1944 ) ने उत्तम प्रभावित (super dominance) हूल ( 1945 ) ने अति प्रभाविता (over dominance) तथा ईस्ट ( 1936 ) ने एक निधि पर एलील्स की अन्योन्य क्रिया (interaction of alleles at a single locus) कहा ।
एक निधि पर एलील्स की अन्योन्य क्रिया वाद के अनुसार A1A2A3 तीन एलील हों तो A1A1, A2A2, A3A3, समयुग्मजी संयोजनों से A1A2 A1A3A2A3 विषमयुग्मजी संयोजन अधिक प्रभावशाली अर्थात् ओजपूर्ण होते हैं ।
इस प्रकार के कुछ प्रमाण प्राप्त हुए हैं जो यह प्रमाणित करते हैं कि एक लोकस पर भिन्न - भिन्न ऐलिल्स होने पर अलग - अलग प्रभावोत्पादन होता है ।
उदाहरणत - मक्का में R ऐलिल के विषमयुग्मजी होने पर दोनों समयुग्मजों से अधिक वर्णक उत्पन्न होता है । जन्तुओं में बहु युग्म विकल्पी श्रेणी में भिन्न - भिन्न युग्म विकल्पी भिन्न - भिन्न एन्टीजन उत्पन्न करते हैं ।
गस्टफसन ने जौं के शुद्ध वंशक्रमों में स्वतजनित (spontaneous) उत्परिवर्तकों का अध्ययन करते हुए पाया कि क्लोरोफिल उत्परिवर्तक के विषमयुग्मजों में दोनों समयुग्मजों की अपेक्षा अधिक एवं बड़े बीज उत्पन्न होते हैं ।
तथापि एकल - जीन संकर ओज (single gene heterosis) के स्पष्ट उदाहरण बहुत कम पाये जाते हैं । प्रभाविता एवं अतिप्रभाविता उत्कल्पनाओं में विशेष अन्तर यह है कि अतिप्रभाविता में विषयमयुग्मज के समान समयुग्मज कदापि नहीं हो सकता है । लगभग 100 वर्षों से किये गये विस्तृत प्रयोगों के आधार पर भी यह प्रमाणित नहीं हो पाया है कि कौन - सा वाद संकर ओज के लिये उपयुक्त है ।
सम्भवतः संकर ओज (heterosis in hindi) को जीन्स या जीन्स समूह नियन्त्रित करते हैं जो कि विकास की विभिन्न अवस्थाओं में वृद्धि एवं ओज को स्थापित करते हैं । यह समझा जाता है कि संकर ओज की विवेचना मात्रात्मक गुणों की वंशगति के आधार पर की जा सकती है जो कि संकर ओज प्रजनन के सिद्धान्त स्वरुप हैं ।
ये भी पढ़ें:-
संकर ओज का क्या उपयोग होता है? utilization of heterosis in hindi
संकर ओज के उपयोग (use of heterosis in hindi) - संकर ओज का उपयोग पौधों तथा जन्तुओं के उत्थान में बहुत महत्तवपूर्ण है । पौधों में संकर ओज का सबसे अधिक उपयोग मक्का में किया गया, जो कि अत्यधिक सफल साबित हुआ ।
दूसरी फसलों ज्वार, गेहूँ, कपास, भिण्डी, चावल, बैंगन, बाजरा, जूट, प्याज, टमाटर, वनस्पति उत्पादन वाले पौधें जैसे गन्ना, आलू, फन्जाई जैसे पैनीसिलीन आदि में प्रदर्शित किया गया है ।
पादप प्रजननकों द्वारा विकसित अन्य सभी किस्मों की अपेक्षा संकर किस्मों से विश्व खाद्य उत्पादन सर्वाधिक प्रभावित हुआ है । जन्तुओं में सूअर, मुर्गियों, दुग्ध पशुओं तथा रेशम के कीटों में किया गया ।
जानवरों में संकर ओज का उदाहरण खच्चर है ।
खच्चर, घोड़े (horse-equus calibus) और गधी (ass - equus assinus) के संकरण से उत्पन्न होता है । घोड़े तथा गधे से ताकतवर होता है ।