वह दुग्ध उत्पादन जो स्वच्छ एवं शुद्ध वातावरण में स्वस्थ पशुओं से पैदा किया जाता है, स्वच्छ दुग्ध उत्पादन (clean milk production in hindi) कहलाता है ।
स्वच्छ दूध क्या है अर्थ एवं परिभाषा | meaning and definition of clean milk
स्वच्छ दूध से अर्थ उस दूध से है जो अत्यंत शुद्ध वातावरण में किसी स्वस्थ, निरोग तथा साफ सुथरे पशु से प्राप्त किया किया जाता हो और शुद्ध दूध में हानिकारक जीवाणुओं की संख्या कम से कम होती है उस दूध को स्वच्छ दूध (clean milk in hindi) कहा जाता है ।
अत: स्वच्छ दूध काफी समय तक खराब नहीं होता और प्रयोग में आने योग्य रहता है ।
स्वच्छ दुग्ध उत्पादन (clean milk production in hindi) क्या है इसका महत्व एवं सिद्धांत लिखिए |
यदि स्वच्छ दूध प्राप्त कर लिया जाये तो उसमें हानिप्रद जीवाणुओं की संख्या अत्यन्त कम होती है । परन्तु दूध जितनी देर तक रखा रहता है, उसमें उन जीवाणुओं की संख्या बढ़ती चली जाती है ।
ये भी पढ़ें :-
स्वच्छ दूध उत्पादन में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिये?
कभी - कभी ऐसा दूध प्रयोग करने पर भयानक बीमारियाँ भी हो जाती हैं ये जीवाणु कई प्रकार से दूध में पहुँच जाते है ।
स्वच्छ दूध उत्पादन में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिये -
- गाय के थन में पहली 3-4 धार में जीवाणुओं की संख्या अपेक्षाकृत अधिक होती है, अत: जो लोग दूध निकालते समय आलस्य में आकर पहली 2-3 धार अलग नहीं निकालते तो जीवाणु सारे दूध में मिल जाते हैं ।
- दूध दुहने से पूर्व यदि गाय के शरीर की भली - भाँति सफाई न की जाये ।
- दूध यदि चौड़े मुँह के बर्तन में दुहा जाता है तो हवा के साथ फर्श आदि से धूल - मिट्टी उड़कर दूध में आ गिरती है जिसके साथ असंख्य जीवाणु दूध में पहुँच जाते है ।
- दूध दुहने के बर्तन यदि वैज्ञानिक रीति से साफ न किये गये हों ।
- दूध दुहने वाले व्यक्ति के हाथ, नाखून तथा कपड़े आदि साफ - सुथरे नहीं हैं । इस प्रकार उपरोक्त विधि से दूध में पहुँचे ये जीवाणु दूध में अम्लीयता पैदा कर देते हैं और दूध फट जाता है ।
उपरोक्त सभी विधियों से दूध को संक्रमित होने से रोकने का प्रयत्न करना चाहिये ।
स्वच्छ दूध उत्पादन के सिद्धांतों का वर्णन कीजिए? | principles of clean milk production in hindi
स्वच्छ दूध उत्पादन के प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित है -
- गाय का स्वास्थ्य और स्वच्छता
- दूध के बर्तनों को सफाई
- पर्याप्त शुद्ध जल की व्यवस्था
- पशुओं का राशन तथा खिलाने का उत्तम ढंग
- गो - दोहन में सफाई
- दूध का उचित प्रबन्ध
- दूध का वितरण
ये भी पढ़ें :-
स्वच्छ दूध उत्पादन प्रमुख सिद्धांतों का महत्व लिखिए? | Impotance of clean milk production in hindi
1. गाय का स्वास्थ्य और स्वच्छता -
शुद्ध एवं स्वच्छ दूध उत्पादन में केवल निरोग पशुओं के द्वारा ही उत्पादन लेना आवश्यक होता है ।( i ) बीमार पशुओं से दूध अलग रखना चाहिये और उसको अच्छी तरह उबाल कर, निरीक्षण करने के पश्चात ही प्रयोग करना चाहिये ।
( ii ) गाय को दुहने से पूर्व उसकी भली - भाँति सफाई करना अति आवश्यक होता है ।
( iii ) पशुशाला की सफाई स्वच्छ दूध उत्पादन में विशेष महत्व रखती है । जैसे पशुशाला में हवा, रोशनी तथा धूप का अभाव न हो, पक्के तथा ढालू फर्श बने हों जिन्हें प्रतिदिन अच्छी तरह धोकर साफ किया जाता हो, पशुशाला की दीवारें भी कम से कम 2 मीटर की ऊँचाई तक चिकनी बनवानी चाहिये जिससे उन्हें भी धोकर अच्छी तरह साफ किया जा सके । प्रतिदिन पशुशाला के फर्श और दीवारों को कीटाणुनाशक दवाओं के घोल से धोना चाहिये । वर्ष में कम से कम एक बार पशुशाला की चूने से पुताई करवा देनी चाहिये और मच्छर आदि के विनाश के लिये कम से कम वर्षा ऋतु में 15 दिन में एक बार डी० डी० टी० आदि का छिड़काव करवा देना चाहिये ।
( iv ) दूध दुहने वाले ग्वालों की सफाई स्वच्छ दूध उत्पादन में अति आवश्यक है । ग्वाले के हाथ, नाखून तथा कपड़े आदि दूध दुहने के समय साफ - सुथरे होने चाहिये । दूध दुहने से पूर्व ग्वाले के हाथ किसी जीवाणुनाशक के घोल से धुलवा देना अति आवश्यक होता है ।
2. दूध के बर्तनों की सफाई -
दूध में प्रयोग होने वाले बर्तनों की बनावट एवं सफाई आदि के लिये निम्न बातें ध्यान में रखनी चाहियें -( i ) बर्तनों में जोड़, कोने तथा गड्ढे कम से कम हों ।
( ii ) बर्तन स्टेनलेस स्टील के बने हों जिसमें जंग आदि नहीं लगता और आसानी से साफ किये जा सकते हैं ।
( ii ) चौड़े मुँह की बाल्टी के बजाय एक तरफ थोड़े खुले मुँह की बाल्टी दूध निकालने में प्रयोग की जाये ।
( iv ) दूध में प्रयोग होने वाले बर्तनों को पहले खूब अच्छी तरह ठण्डे पानी से धोना चाहिये, उसके बाद गर्म पानी से और आखिर में गर्म पानी में सोडा डालकर साफ करके गर्म पानी से भली प्रकार धोकर उल्टे करके रख देना चाहिये । जिससे उनका सारा पानी निचुड़ जाये । उसके पश्चात् बर्तनों को कुछ देर के लिये या तो भाप से या तेज धूप से सुखाना चाहिये । इस प्रकार बर्तनों को पूर्ण रूप से जीवाणु रहित कर लेना चाहिये ।
3. पर्याप्त शुद्ध जल की व्यवस्था -
शुद्ध जल पशुओं को पिलाने, पशुशाला की सफाई और बर्तनों आदि की सफाई के लिये परम आवश्यक होता है ।
4. पशुओं का राशन तथा खिलाने का उत्तम ढंग -
पशुओं को दिया जाने वाला चारा - दाना साफ - सुथरा, सन्तुलित तथा पौष्टिक होना आवश्यक है । इसी प्रकार पशुओं को खिलाने - पिलाने में स्वच्छता, समय और अनुपात आदि का ध्यान रखना आवश्यक होता है ।
5. गो - दोहन में सफाई -
गाय का दूध निकालते समय बिल्कुल सूखे हाथों से दूध निकालना उत्तम माना जाता है । जहाँ तक सम्भव हो सके पूरी मुट्ठी से ही दूध दोहना चाहिये ।
6. दूध का उचित प्रबन्ध -
दूध दुहने के पश्चात् दूध को अच्छी प्रकार उबालकर किसी बन्द बर्तन में अच्छी तरह ढक्कर रख देते हैं 4-6 घण्टे बाद दूध को दोबारा उबालना अच्छा रहता है । इस प्रकार दूध काफी समय तक खराब नहीं होता । दूध को खराब होने से बचाने के लिये पहले दूध को 71-11 सेल्सियस पर 15 सेकेण्ड तक गर्म करके 4-5 सेल्सियस तक एकदम ठण्डा कर देते हैं इस क्रिया को पास्चुराइजेशन कहते हैं इससे दूध पूर्णत: जीवाणु रहित हो जाता है ।
7. दूध का वितरण -
दूध निकालने के तुरन्त बाद बोतलों में भरकर उसका वितरण उपभोक्ताओं में कर देना चाहिये । केवल थोड़ी दूर तक के स्थानीय वितरण में टोंटीदार केन का भी प्रयोग ठीक रहता है । यदि दूध का वितरण काफी देर तक और दूर तक करना हो तो दूध को पास्चुराइइजेशन के उपरान्त ही वितरित करना चाहिये । गर्मियों के दिनों में दूध ठण्डा बनाये रखने के लिये बर्फ आदि का प्रयोग करना आवश्यक होता है ।
ये भी पढ़ें :-
कृत्रिम दूध क्या है इसकी पहचान आप किस प्रकार करेगें?
यह दूध जैसा पदार्थ (कृत्रिम दूध) नारियल के तेल, सोया प्रोटीन, कार्न सीरप ठोस, पॉली सॉरबेट, पोटेशियम - फॉस्फेट, खनिज लवण, विटामिन्स, कृत्रिम रंग तथा गन्ध आदि मिलाकर बनाया जाता है ।
इस प्रकार के दूध को नकली दूध (इमिटेशन मिल्क) दूध जैसा या दूध की नकल कहते हैं ।
कृत्रिम दूध की पहचान -
- कृत्रिम दूध में शुद्ध दूध में पाये जाने वाले ठोस पदार्थ नहीं मिलते ।
- इस दूध में कैल्शियम तथा प्रोटीन की मात्रा शुद्ध दूध की अपेक्षा बहुत कम पाई जाती है ।
- संश्लेषित या सिंथेटिक दूध की पहचान इसको बनाने में मिलाये जाने वाले पदार्थो जैसे यूरिया, डिटरजैन्ट, रिफाइन्ड आयल, चीनी, स्टार्च तथा प्रोटीन आदि के लिये परीक्षण करके पता लगाया जाता है ।
कृत्रिम या सिंथेटिक दूध की पहचान निम्नांकित सामान्य विधियों से भी की जाती है -
- दूध में अंगूली डालने से हल्की गर्माहट महसूस होती है ।
- इस दूध का रंग हल्का पीला, मलायी पीली, पपड़ीदार तथा सख्त होती है ।
- इस दूध का स्वाद कसैला या अधिक मीठा होता है ।
- दूध से बनाई गई चाय का रंग थोड़ा कालापन लिये होता है ।
इस दूध की पहचान के लिये कृषि विश्वविद्यालय, हिसार ने एक घोल तैयार किया है जिसकी एक बूँद फिल्टर पेपर पर डालकर उसके ऊपर दस दूध की बूंद डालने से बूंद के चारों तरफ हल्के नीले रंग का छल्ला दिखाई देता है ।
स्वच्छ एवं सुरक्षित दूध में अंतर स्पष्ट कीजिये?
1. स्वच्छ दूध ( clean milk ) -
- स्वच्छ वातावरण में पैदा किया गया, ऊपरी गन्दगी जैसे धूल, बाल, मच्छर - मक्खी आदि से रहित तथा कम से कम जीवाणुओं वाला दूध स्वच्छ दूध (clean milk in hindi) कहलाता है ।
- जीवाणुओं की संख्या न्यूनतम होती है ।
- स्वास्थ्य के लिये कभी - कभी हानिकारक हो सकते हैं ।
- स्वच्छ दूध उत्पादन में दूध को उबाल नही दिया जाता ।
2. सुरक्षित दूध ( safe milk ) -
- बिल्कुल स्वच्छ दूध जिसमें जीवाणुओं की उपस्थिति बिल्कुल न हो तथा जिसके सेवन से स्वास्थ्य को कोई हानि न हो सुरक्षित दूध (safe milk in hindi) कहलाता है ।
- जीवाणु बिल्कुल नहीं होते ।
- स्वास्थ्य के लिये सुरक्षित होते हैं ।
- सुरक्षित दूध उत्पादन में दूध को एक निश्चित तापक्रम पर उबाला जाता है ।