कृषि उत्पादन अर्थशास्त्र (agricultural production economics in hindi) कला एवं विज्ञान दोनों है ।
यह व्यवहारिक विज्ञान है । यह कला के रूप में विभिन्न आर्थिक समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता है ।
उन अवस्थाओं को निर्धारित करता है जहाँ पर कृषक अधिकतम लाभ प्राप्त कर सके ।
कृषि उत्पादन अर्थशास्त्र क्या है? | agricultural production economics in hindi
प्रो० ई० ओ० हेडी० ने कृषि उत्पादन अर्थशास्त्र (agricultural production economics in hindi) को विज्ञान का एक व्यवहारिक क्षेत्र कहा है -
जिसके द्वारा उत्पत्ति के विभिन्न साधनों के उपयोग हेतु चयन के सिद्धान्तों का प्रयोग किया जाता है । विभिन्न आर्थिक समस्याओं के समाधान में किसान की मदद करता है ।
संक्षेप में यह कहा जा सकता ,है कि कृषि उत्पादन अर्थशास्त्र विज्ञान और कला दोनों है तथा यह आदर्श और वास्तविक विज्ञान भी है ।
कृषि उत्पादन अर्थशास्त्र की परिभाषा लिखिए? | definition of agricultural production economics in hindi
इस प्रकार यह कह सकते है कि कृषि उत्पादन अर्थशास्त्र (agricultural production economics in hindi) उत्पत्ति के सीमित साधनों के कृषि क्षेत्र में उपयोग तथा उससे प्राप्त आय से सम्बन्धित है ।
कृषि उत्पादन अर्थशास्त्र की परिभाषा प्रो० ई० ओ० हेडी के शब्दों में -
“कृषि उत्पादन अर्थशास्त्र विज्ञान का एक व्यवहारिक क्षेत्र है जिसके अन्तर्गत कृषि उद्योग में पूँजी, श्रम, भूमि एवं प्रबन्ध आदि उत्पत्ति के साधनों के उपयोग हेतु चयन के सिद्धान्तों का प्रयोग किया जाता है । साधन दक्षता का अध्ययन होने के कारण यह विज्ञान फार्म प्रबन्धकों, कृषक परिवारों एवं देश के उपभोक्ताओं के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये आवश्यक अवस्थाओं को परिभाषित करने से सम्बन्धित है ।"
"Agricultural Production Economics is an applied field of science, where in the principles of choice are applied to the use of capital, labour, land and management resources in the farming industry. As a study of resource efficiency, it is concerned with defining the conditions under which the ends or objects of farm managers, farm families and the nations can be attained to the greatest degree." - E.O. Heady
कृषि उत्पादन अर्थशास्त्र किसे कहते है? | agricultural production economics in hindi
उत्पत्ति के साधन सीमित होते हैं । इनके उपयोग अनेक होते हैं अर्थात् वे वैकल्पिक उपयोग वाले होते हैं । अत: इन साधनों के उचित उपयोग की समस्या आती है । वैकल्पिक उपयोगों में से सबसे अच्छे उपयोग का चयन करना पड़ता है ।
उपयोगिता या उत्पादन अधिक से अधिक प्राप्त किया जा सके, इस समस्या का समाधान अर्थशास्त्र की प्रमुख समस्या है तथा उत्पादन अर्थशास्त्र (production economics) के द्वारा इसका समाधान प्राप्त किया जा सकता अर्थशास्त्र अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के लिये सीमित साधनों के अधिकतम उपयोग की विभिन्न अवस्थाओं और प्रणालियों की खोज करता है ।
कृषि उत्पादन अर्थशास्त्र क्या है इसके उद्देश्य, उपयोगिता एवं विषय क्षेत्र लिखिए |
'कृषि उत्पादन अर्थशास्त्र' एक व्यवहारिक विज्ञान है जिसमें विभिन्न वैज्ञानिक विधियों एवं पद्धतियों के माध्यम से साधनों का कृषि व्यवसाय में उपयोग हेतु चयन किया जाता है ।
ये भी पढ़ें :-
कृषि उत्पादन अर्थशास्त्र के उद्देश्य एवं उपयोगिता लिखिए? | objectives and utility of agricultural production economics in hindi
कृषि उत्पादन अर्थशास्त्र के अध्ययन की उपयोगिता तथा इसके उद्देश्यों को इसकी परिभाषाओं के विश्लेषण से स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है ।
जो प्रमुख निम्नलिखित है -
- उत्पादन के सीमित साधनों के सर्वोत्तम उपयोग की विभिन्न अवस्थाओं तथा प्रणालियों की खोज करता है ।
- उत्पत्ति के साधनों के उचित उपयोग हेतु सम्भावित संयोगों की विभिन्न अवस्थायें निर्धारित करता है ।
- उत्पत्ति के साधनों के उचित योग द्वारा देश में रोजगार स्तर को बढ़ाने में सहायक है ।
- उत्पत्ति के साधनों के सर्वोत्तम उपयोग की विभिन्न विधियों एवं प्रणालियों की खोज करता है ।
- साधनों के उपयोग एवं दुरुपयोग की सीमायें निर्धारित करता है ।
- अर्थव्यवस्था की कुशलता एवं क्षमता की जाँच करता है ।
- फार्म व्यवसाय के विभिन्न प्रकारों तथा उनमें प्रयुक्त साधनों को नियन्त्रित करने वाले कारकों का विश्लेषण करता है ।
कृषि उत्पादन अर्थशास्त्र के विषय-क्षेत्र एवं स्वभाव लिखिए? | scope and nature of agricultural production economics in hindi
कृषि उत्पादन अर्थशास्त्र का क्षेत्र और विषय वस्तु उत्पादन अर्थशास्त्र की विषय वस्तु में उन सभी बातों का समावेश किया जाता है जिनके द्वारा सीमित साधनों का कुशलतम उपयोग किया जा सके । कृषि उत्पादन अर्थशास्त्र में भूमि, श्रम, पूँजी, प्रबन्ध आदि साधनों का उचित प्रयोग, उनकी उत्पादकता आय एवं लागत का विस्तृत विश्लेषण करते हैं । भूमि संरक्षण, उत्पत्ति के विभिन्न साधनों की सापेक्षिक लागत तथा उनसे प्राप्त आय का अध्ययन इसकी विषय वस्तु है ।
दूसरे शब्दों में साधनों को प्रदान की जाने वाली लागत (अर्थात् लगान, मजदूरी, ब्याज, लाभ) और उनसे प्राप्त आय में उचित समन्वय करना, प्राकृतिक कारणों से उत्पन्न अनिश्चितता और जोखिम के समय भी कृषि व्यवसाय को व्यवस्थित रूप में संचालित करना आदि इसकी विषय वस्तु है ।
कृषि उत्पादन अर्थशास्त्र के विषय-क्षेत्र -
तकनीकी भाषा में कृषि उत्पादन अर्थशास्त्र की विषय वस्तु में कारक - उत्पाद विश्लेषण (factor product analysis), कारक - कारक सम्बन्ध (factor - factor relationship) तथा उत्पाद - उत्पाद सम्बन्धों (product - product relations) को सम्मिलित किया जाता है ।
साधारण शब्दों में उत्पत्ति के विभिन्न साधनों को परस्पर में किस प्रकार या किस स्तर पर संगठित किया जाये? उन्हें किस अनुपात में मिलाया जाये? एक उत्पाद की निश्चित मात्रा प्राप्त करने के लिये साधनों का कौन - सा संयोग सर्वाधिक लाभप्रद रहेगा? आदि विषयों का अध्ययन इसकी विषय वसतु में सम्मिलित है ।
इसी तरह उपलब्ध श्रम पूँजी को देखते हुये प्रक्षेत्र का कौन - सा आकार सर्वाधिक लाभदायक होगा; उत्पत्ति के साधनों को कब व कहाँ क्रय किया जाये, उपज को कब व कहाँ कितना बेचा जाये, उत्पादन की कौन - सी विधि अपनायी जाये आदि बातों का अध्ययन इसकी विषय सामग्री है ।
इस प्रकार कृषि उत्पादन अर्थशास्त्र का विषय क्षेत्र व्यष्टि और समष्टि दोनों ही प्रकार का हो सकता है । जब एक प्रक्षेत्र के लाभ को अधिकतम करने के लिये साधनों के उचित संयोग की अवस्था को ज्ञात किया जाता है तो वह व्यष्टि उत्पादन अर्थशास्त्र (production economics at micro level) कहलायेगा ।
इसी प्रकार जब अनेक प्रक्षेत्रों या अनेक देशों के प्रक्षेत्रों के लाभ के स्तर को अधिकतम करने हेतु साधनों के उचित बँटवारे की समस्या का अध्ययन करेंगे तो वह समष्टि उत्पादन अर्थशास्त्र (production economics at macro level) कहलायेगा ।
ये भी पढ़ें :-
कृषि उत्पादन अर्थशास्त्र की प्रकृति -
किसी भी विषय की प्रकृति या स्वभाव का अध्ययन करने के लिये यह ज्ञात करना पड़ता है कि वह विषय विज्ञान है, या कला है, या दोनों है । वास्तव में कृषि उत्पादन अर्थशास्त्र एक विज्ञान है क्योंकि अपने विषय का क्रमबद्ध अध्ययन करता है, कार्य - कारण में सम्बन्ध स्थापित करता है, उत्पत्ति के विभिन्न साधनों की कुशलता बढ़ाने हेतु इस विषय के अपने नियम है; जो सार्वभौमिक एवं सार्वकालिक हैं । इन नियमों में प्रमुख - प्रमुख नियम अवसर लागत का सिद्धान्त, तुलनात्मक लाभ का सिद्धान्त; प्रतिस्थापन का सिद्धान्त, उत्पत्ति हास नियम आदि प्रमुख हैं ।
इसका अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध है, इसके अध्ययन के द्वारा भविष्यवाणी की जा सकती है । कृषि उत्पादन अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान भी है तथा आदर्श विज्ञान भी है । वास्तविक विज्ञान (positive) के रूप में यह साधनों की यथार्थ स्थिति का अध्ययन करता है, उत्पत्ति के विभिन्न साधनों की जानकारी कराता है, किसान को लागत, लाभ उत्पादकता की जानकारी कराता है ।
कृषि उत्पादन अर्थशास्त्र एक आदर्श विज्ञान है -
यह एक आदर्श विज्ञान (normative science) भी है क्योंकि इसके अध्ययन से साधनों के उचित एवं अनुकूलतम संयोग की जानकारी प्राप्त होती है । न्यूनतम लागत पर अधिकतम लाभ प्राप्ति के आदर्श संयोग की स्थिति बतलाता है । सीमित साधनों के उचित वैकल्पिक उपयोगों की जानकारी कराता है । उत्पत्ति के विभिन्न कारकों के सदुपयोग व दुरुपयोग की सीमायें निश्चित करता है । साधनों के सर्वोत्तम संयोग की विभिन्न अवस्थाओं को निर्धारित करता है ।
कृषि उत्पादन अर्थशास्त्र (agricultural production economics in hindi) का मुख्य उद्देश्य किसान और उसके परिवार के लिये अधिकतम कृषि लाभ की प्राप्ति हेतु सीमित साधनों के सर्वोत्तम उपयोग की विभिन्न अवस्थाओं और प्रणालियों की खोज करना है ।