भारत में बीज प्रमाणीकरण (seed certification in hindi) संबंधित संकल्पना का ज्ञान काफी समय से तथापि बीज प्रमाणीकरण कार्य का प्रारंभ 1959 में ज्वार, मक्का तथा बाजरे के संकर बीज से हुआ ।
सन् 1966 में सांसद ने भारतीय बीज अधिनियम परित किया जिसमें राज्य स्तरीय बीज प्रमाणीकरण संस्थाएं स्थापित करने की व्यवस्था की गई ।
बीज अधिनियम में 1972 मैं संशोधन किया गया जिससे केंद्र तथा राज्य सरकारों का सुझाव देने तथा राज्य प्रमाणीकरण एजेंसियों के कार्यों का समन्वय करने के लिए केंद्रीय बीज प्रमाणीकरण परिषद की स्थापना की गई ।
बीज प्रमाणीकरण से आप क्या समझते है एवं इसकी परिभाषा (Meaning & defination of seed certification in hindi)
पादप प्रजनक श्रेष्ठ जीनोटाइप अथवा इच्छित जीन संयोजनों का समावेश करके उत्कृष्ट गुणवना का बीज उत्पन्न करता है ।
यह बीज थोड़ी मात्रा में होता है, इस बीज का वर्धन, गुणन तथा वितरण कृषि के व्यवसायिक उत्पादन को बढ़ाने के लिए अत्यावश्यक होता है ।
बीज प्रमाणीकरण से आप क्या समझते है एवं बीज प्रमाणीकरण के उद्देश्य |
पहले यह कार्य प्रजनक ही करता था परन्तु कृषि के विस्तार, विशेषता तथा जटिलता के कारण नई किस्म का परीक्षण एवं वितरण का उत्तरदायित्व अन्यत्र होना आवश्यक हो गया ।
बीज प्रमाणीकरण की परिभाषा (defination of seed certification in hindi)
बीज प्रमाणीकरण की परिभाषा - "बीज प्रमाणीकरण का ध्येय जनता को फसलों की उन्नत किस्मों का उच्च गुणवत्ता का बीज तथा प्रवर्धन पदार्थ प्रदान करना है, जिसके उगाने एवं वितरण में पूर्ण अनुवांशिक सर्वसमिका रखी गई केवल वे किस्में जिनका जनन द्रव्य उत्कृष्ट होता है उन बीजों का ही प्रमाणीकरण किया जाता है, बीज प्रमाणीकरण की किस्मीय शुद्धता तथा अंकुरण क्षमता उत्तम होती है ।"
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बीज प्रमाणीकरण संस्था (seed certification agency)
सर्वप्रथम 1886 में स्वीडन सीड एसोसियेशन की स्थापना हुई जिसका प्रमुख उद्देश्य श्रेष्ठ किस्मों का विकास तथा उनके बीज का उत्पादन एवं वितरण निर्धारित किया गया ।
इस शताब्दी के आरम्भ में कैनेडियन सीड ग्रोवरस् एसोसियेशन की स्थापना हुई ।
इसके समकाल में संयुक्त राज्य अमेरिका के विभिन्न राज्यों में बीज उत्पादन एवं प्रमाणीकरण संस्थाओं की स्थापना हुई ।
सन् 1919 में अन्तर्राष्ट्रीय फसल उन्नयन संघ (International Crop Improvement Association) की स्थापना हुई ।
इस संघ ने अपनी सदस्य ऐजेन्सियों के लिये विभिन्न फसलों के निम्नतम बीज प्रमाणीकरण मानक स्थापित किये हैं ।
इसने प्रविधि के विकास के लिये भी महत्वपूर्ण कार्य किया है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों की सहकारी ऐजेन्सियों में सहकारिता तथा प्रमाणीकरण के लिये आवश्यक पादप निरीक्षण में सहयोग स्थापित हो ।
इसने बीज की शुद्धता तथा अंकुरण के लिये मानक स्थापित किये ।
बीज को थैलों में भरकर मुहर बन्द करने के उपयुक्त नियम स्थापित किये जिससे दूर के क्षेत्रों के कृषकों को भी प्रमाणीकरण का लाभ प्राप्त हो ।
इस संघन ने 1969 में अपना नाम परिवर्तन पर बीज प्रमाणीकरण संस्थाओं का संघ (Association of official Seed Certfying Agencies - AOSCA) रख लिया ।
बीज प्रमाणीकरण के उद्देश्य (purposes of seed certification in hindi)
बीज प्रमाणीकरण संस्थाओं का संघ में ( AOSCA ) बीज प्रमाणीकरण के उद्देश्यों का निर्धारण करता है ।
बीज प्रमाणीकरण (seed certification in hindi) के वर्तमान उद्देश्य इस प्रकार है -
- बीज उत्पादकों को प्रोत्साहित करने पहचानने, वितरण तथा उपयोग में सहायता करना ।
- बीज उत्पादन, संसाधन, भण्डारण तथा प्रमाणीकरण के न्यूनतम मानकों को स्थापित करना ।
- सभी प्रमाणित बीज गुणवत्ता के निम्नतम स्वीकृत मानकों के अनुरूप स्तर या उससे श्रेष्ठ होंगे । इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिये प्रमाणीकरण सम्बन्धी आवश्यकताओं तथा प्रविधियों के मानकीकरण में सहायता करना ।
- जनता को प्रमाणित बीजो तथा उनके महत्व का ज्ञान तथा अनुमोदित शैक्षिक प्रसार एवं प्रचार माध्यमों द्वारा उनके प्रयोग को प्रोत्साहित करना ।
- सस्य - उन्नयन में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जिज्ञासा रखने वाले सभी व्यक्तियों वर्गों तथा संघटनों में सहयोग स्थापित करना ।
बीज प्रमाणीकरण का उद्देश्य श्रेष्ठ आनुवंशिक संघटन के शुद्ध बीज को सामान्य कृषि के लिये उपलब्ध कराना है ।
इसमें ऐसी व्यवस्था तथा कार्यविधि का विकास करना है, जिससे उत्पादको तथा उपभोक्ताओं को अधिकतम मूल्य प्राप्त हो ।
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के अनुसार बीज प्रमाणीकरण के उद्देश्यों को संक्षेप में निम्न प्रकार से माना जा सकता है ।
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बीज प्रमाणीकरण का वर्णन कीजिए? Seed certification in hindi
बीज प्रमाणीकरण का प्रक्रम (the seed certification process) किसी नई किस्म को प्रमाणित करने से पहले उसका संस्तुतीकरण उपयुक्त राज्य उन्नयन संघ द्वारा किया जाना चाहिये ।
किस्म के व्यवसायिक उत्पादन के लिये सन्तोषजनकता का सामान्यत: कृषि अनुसन्धान केन्द्र किस्म के विशेष क्षेत्र में व्यवसायिक उत्पादन के लिये अनुमोदन करता है ।
बीज प्रमाणीकरण (seed certification in hindi) की सामान्य प्रविधि निम्न प्रकार है -
1. बीजोत्पादक को संस्तुत किस्म का आधार, पंजीकृत एवं प्रमाणित बीज उगाना चाहिये । एक फसल की केवल एक किस्म ही फार्म पर उगानी चाहिये ।
2. बीज उस खेत में बोना चाहिये जिसमें उस फल की दूसरी किस्म विशेष समय पहले न उगाई गई हों, क्योंकि पहली किस्म का बीज खेत में उग सकता है, जिससे उस किस्म की आनुवंशिक गुणता प्रभावित हो सकती है । खेत को सभी मुख्य एवं गौण खतरनाक ( Noxious ) खरपतवारों से मुक्त कर देना चाहिये ।
3. उस फसल की दूसरी किस्मों से उपयुक्त पार्थक्य ( isolation ) होना आवश्यक है । अन्तर्राष्ट्रीय सस्य उन्नयन संघ ने प्रत्येक फसल के लिए पार्थक्य दूरी निर्धारित कर रखी है ।
4. प्रमाणीकरण अधिकृत निरीक्षकों के द्वारा खेत का निरीक्षण किया जाना चाहिये । खेत के सलवन से पहले अन्य किस्मों एवं फसलों के साथ मिश्रण, पार्थक्य मानक, रोग एवं कीटों के प्रभाव तथा खतरनाक खरपतवारों के लिए निरीक्षण किया जाता है ।
5. बीज का निरीक्षण, कटाई, शोधन ( cleaning ) भण्डारण तथा लेबल के लिये कभी भी किया जा सकता है । बीज के नमूने को अशुद्धता, अंकुरण, अक्रिय पदार्थ आदि के परीक्षण के लिये मान्य प्रयोगशाला में भेजा जाता है ।
6. प्रमाणित बीज का व्यापार में प्रवेश करने से पहले अंकन ( tagged ) किया जाता है तथा उसकी विशिष्टता बनाये रखने के लिये मुहर बन्द ( sealed ) कर दिया जाता है ।
बीज प्रमाणीकरण (seed certification in hindi) को उगाने, कटाई एवं संलवन, संसाधन तथा विपणन का उत्तरदायित्व उत्पादक का होता है ।
प्रमाणीकरण एजेन्सी का उत्तरदायित्व यह निर्धारित करता है कि उत्पादक ने नियमों का पालन किया है तथा बीज उस फसल तथा बीज के वर्ग की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है ।
बीज प्रमाणीकरण के अंगों का विवरण
बीज प्रमाणीकरण के अंग (parts of seed certification in hindi) बीज प्रमाणीकरण के पाँच अंग होते है -
1. आवेदन ( Application ) -
बीज उत्पादकों को प्रमाणीकरण के लिये अधिकृत संस्था को आवेदन पत्र देना पड़ता है ।
आवेदन भेजने वाले व्यक्ति को निम्न अर्हतापूर्ण करनी चाहिये -
( i ) प्रमाणीकरण बीज उत्पन्न करने वाले व्यक्ति के पास बीज सफाई ( Cleaning ) तथा भण्डारण ( Storage ) की अच्छी सुविधायें होनी चाहिये ।
( ii ) प्रमाणीकरण बीज का वितरण स्वच्छ थैलों में ही करना चाहिये । मुहर बन्द करना आवश्यक होता है ।
( iii ) प्रमाणीकरण बीज के दो वर्ग प्रथम बीज ( first generation seed ) तथा द्वितीय पीढ़ी बीज ( second generation seed ) उत्पन्न किये जाते हैं ।
द्वितीय पीढ़ी बीज के पुनः प्रमाणीकरण की अनुमति प्रदान नहीं की जाती हैं ।
आवेदन पत्र की रूपरेखा तथा नियमावली प्रमाणीकरण संस्था द्वारा निर्धारित की जाती है ।
बीज प्रमाणीकरण संस्था आवेदन पत्रों की वैधता की जाँच करती है तथा शुद्ध बीज उत्पादन योग्य आवेदकों के आवेदन ही स्वीकृत किये जाते हैं ।
2. बीज फसल का निरीक्षण ( Inspection of Seed Crop ) -
बीज फसल का प्रमाणीकरण संस्था के फसल विशेषज्ञों द्वारा निरीक्षण आवश्यक होता है ।
फसल निरीक्षण निर्धारित विधि के अनुसार किया जाता है ।
3. बीज संसाधन ( Seed Processing ) -
बीज उत्पादन के उपरान्त बीज को लम्बी अवधि तक रखने के लिये बीज का संसाधन आवश्यक होता है ।
इस काल में देरी का निरीक्षण किया जाता है तथा बीज परीक्षण के लिए प्रतिदर्श ( Sample ) लिये जाते हैं ।
आर्द्रता की मात्रा का परीक्षण किया जाता है । बीज की गुणवत्ता को अनुरक्षित किया जाता है तथा बीज को संदूषण ( contemination ) से रोकने के उपाय किये जाते हैं ।
4. बीज परीक्षण ( Seed Testing ) -
सामान्यतः बीज परीक्षण के लिये प्रतिदर्श ( samples ) बीज संसाधन काल में ही लिये जाते है ।
बीज परीक्षण का उद्देश्य बीज की शुद्धता एवं गुणवत्ता को उच्चतम स्तर पर अनुरक्षित करना होता है ।
इसके लिये निम्नलिखित परीक्षण किये जाते है -
( 1 ) बीज की भौतिक शुद्धता का निर्धारण ( Istination of the mechanical purity of seed )
( ii ) अंकुरण क्षमता का परीक्षण ( Test of the germination capability )
( ii ) आर्द्रता मात्रा का परीक्षण ( Test of the moisture content )
( iv ) आनुवंशिक शुद्धता का परीक्षण ( Test of the genetic purity of seed )
( v ) अन्य परीक्षण ( Other test )
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5. बीज थैलों पर प्रमाण पत्र एवं मोहर लगाना ( Tagging and Sealing of sced bags ) -
बीज की उपयुक्तता प्रमाणित होने के उपरान्त उसे स्वच्छ थैलों में भर दिया जाता है तथा थैलों को मोहर बन्द ( sealed ) कर NSC दिया जाता है ।
बीज प्रमाणीकरण (seed certification in hindi) |
बीज प्रमाणीकरण (seed certification in hindi) सम्बन्धित सभी सूचनाओं युक्त कार्ड अर्थात् प्रमाण पत्र ( Tag ) को थैले से QUALITY SEED संलग्न कर दिया जाता है अथवा थैलों पर प्रमाण पत्र छपवा दिये जाते हैं ।
प्रमाण पत्र पर निम्नलिखित सूचनाये होनी चाहिये -
( i ) प्रमाणीकरण संस्था का नाम व पता
( ii ) बीज की किस्म व प्रकार
( iii ) बीज की आनुवंशिक शुद्धता का प्रमाणीकरण
( iv ) उत्पादक का नाम व पता
( v ) बीज उत्पादन का वर्ष एवं तिथि
( vi ) प्रमाणित बीज का वर्ग
( vii ) बीज प्रमाणीकरण संस्था की प्रतीक
बीज प्रमाणीकरण के मानकों की व्याख्या कीजिये?
बीज प्रमाणीकरण के मानक (standards of seed certification) बीज प्रमाणीकरण के मानक केन्द्रीय बीज समिति के द्वारा निर्धारित किये गये है ।
सभी बीज प्रमाणीकरण संस्थाओं को लिये इन स्थापित मानकों का अनुसरण करना आवश्यक है ।
विशिष्ट आवश्यकताओं के लिये इन मानकों को बढ़ाया जा सकता है परन्तु घटाया नहीं जा सकता है ।
अतः इन्हे न्यूनतम मानकों की संज्ञा दी जा सकती है ।
इन्हें दो संवर्गों में रखा गया है -
( 1 ) सामान्य बीज प्रमाणीकरण मानक ( General seed certification standards )
( 2 ) विशिष्ट फसल मानक ( Specific crop standards )
सामान्य बीज प्रमाणीकरण मानक ( General Seed Certification Standards )
बीज शुद्धता एवं गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले कारकों के लिये निर्धारित मानको को सामान्य बीज प्रमाणीकरण मानक कहते है ।
इसमें बीज प्रमाणीकरण का ध्येय, बीज किस्म, बीज वर्ग, खेत निरीक्षण, बीज संसाधन, वीज - उपचार, वीज - परीक्षण इत्यादि संकल्पनाओं के सामान्य मानक स्थापित किये गये हैं ।
बीज वर्धन के लिए उपयोग की जाने वाली समस्त प्रवर्धनशील सामग्री को बीज कहते हैं जैसे बीज, फल, तना, मूल इत्यादि जनन पदार्थ बोज संवर्ग के अन्तर्गत आते हैं ।
सामान्य बीज प्रमाणीकरण मानक निम्नलिखित है -
1. उद्देश्य ( Aim )
( 1 ) उन्नत किस्मों के उच्च गुणवत्ता वाले बीज एवं प्रवर्धन सामग्री का वर्धन तथा उत्पादन करना ।
( ii ) बीज की आनुवंशिक शुद्धता तथा गुणवत्ता का अनुरक्षण करना ।
( iii ) उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं को उत्तम पादप सामग्री प्रदान करना ।
2.बीज प्रमाणीकरण संस्था ( Seed Certification Institution )
बीज प्रमाणीकरण केवल बीज अधिनियम 1966 की धारा 8 के अनुसार अधिसूचित बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा अधिकृत होता है ।
3. बीज - किस्म ( Seed - Variety ) -
बीज प्रमाणीकरण के लिये बीज फसल किस्म की योग्यता का निर्धारण बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा किया जाता है ।
बीज अधिनियम 1966 धारा 5 के अन्तर्गत अधिसूचित किस्मों का बीज प्रमाणीकरण किया जाता है या नई उत्तम किस्मों, का जो शीघ्र अधिसूचित की जानी है, का अस्थायी प्रमाणीकरण किया जा सकता है ।
4. बीज - वर्ग ( Seed Class ) -
बीज प्रमाणीकरण के लिये बीज के दो वर्ग मान्य है -
( i ) आधार बीज ( Foundation Seed ) —
यह बीज का वह संग्रह होता है जिसकी विशेष आनुवंशिक पहचान तथा शुद्धता अधिकतम बनायी रखी जाती है तथा जो कृषि अनुसन्धान केन्द्र के द्वारा प्रायोजित तथा वितरित किया जाता है ।
इसके उत्पादन की देखभाल ध्यानपूर्वक या कृषि अनुसन्धान केन्द्र के द्वारा मान्यता प्राप्त होनी चाहिये ।
आधार बीज सभी प्रकार के प्रमाणित बीजों का स्रोत होता है ।
( ii ) प्रमाणित बीज ( Certified Seed ) —
प्रमाणित बीज, आधार बीज, पंजीकृत या प्रमाणित बीज की सन्तति होती है जिसका उत्पादन सन्तोषजनक आनुवंशिक पहचान तथा शुद्धता अनुरक्षित रखी जाती है तथा मान्यता प्राप्त होती है । यह प्रमाणीकरण एजेन्सी द्वारा प्रमाणित होता है ।
5. बीज - स्रोत ( Seed - Source ) -
बीज फसल के लिये बोये गये स्रोत का प्रमाण प्रमाणीकरण संस्था को प्रस्तुत करना आवश्यक होता है जिनमें क्रय अभिलेख, प्रमाण - पत्र इत्यादित सम्मिलित होते हैं ।
6. बीज फसल - कृषण ( Seed Crop - cultivation ) -
बीज फसल उत्पादन हेतु प्रमाणीकरण संस्था द्वारा निर्धारित कृषण क्रियाओं का पालन करना आवश्यक होता है क्योंकि बीज की आनुवंशिक एवं भौतिक शुद्धता का अनुरक्षण ही मुख्य उद्देश्य होता है ।
अत: फसल उत्पादन विशिष्ट फसल उत्पादन मानकों के अनुरूप ही होना चाहिये ।
7. बीज उत्पादकों का प्रशिक्षण ( Training of Seed Producers ) -
उपयुक्त बीज उत्पादन के लिये बीज प्रमाणीकरण संस्थाओं को उत्पादकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी चाहिये ।
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8. बीज प्रमाणीकरण के चरण ( Steps of Seed Certification )
बीज प्रमाणीकरण चार चरणों में किया जाता है -
( i ) बीज - स्रोत का सत्यापन
( ii ) बीज फसल का निरीक्षण
( iii ) बीज परीक्षण
( iv ) प्रमाणीकरण पत्र प्रमाणीकरण निर्धारित मानकों के अनुसार होना चाहिये ।
9. बीज फसल का निरीक्षण ( Inspection of Seed Crop ) -
बीज फसल की आनुवंशिक तथा भौतिक शुद्धता के अनुरक्षण के लिये प्रमाणीकरण संस्था के विशेषज्ञों द्वारा फसल का निरीक्षण आवश्यक होता है ।
विभिन्न फसलों के निरीक्षण मानक निर्धारित किये गये हैं ।
10. बीज प्रमाणीकरण की इकाई ( Unit of Seed Certification ) -
जब एक किस्म, एक या अधिक खेतों में जिनकी दूरी 50 मीटर से कम है, में उगायी गयी है तो वह निरीक्षण प्रमाणीकरण की एक इकाई होती है । 50 मीटर से दूर स्थित खेत निरीक्षण के लिये पृथक इकाई माने जाते हैं ।
11. बीज संसाधन ( Seed Processing ) -
प्रमाणीकरण बीज का नियमानुसार संसाधन आवश्यक होता है ।
12. बीज प्रचरण ( Seed Treatment ) -
बीज अन्य रोगों से रक्षा एवं नाशक कीटों से रक्षा करने के लिये बीजोपचार करना आवश्यक होता है ।
बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा निर्दिष्ट कवकनाशी एवं कीटनाशी रासायनिक पदार्थों से उपचार के मानक दिये गये हैं ।
13. प्रतिदर्श ( Samples ) -
बीज परीक्षण के लिये प्रतिदर्शी लेना आवश्यक है । प्रतिदर्श की मात्रा बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप होनी चाहिये ।
14. बीज परीक्षण ( Seed Testing ) -
बीज प्रमाणीकरण संस्था या उसमें मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में बीज परीक्षण आवश्यक होता है, बीज शुद्धता निर्धारित बीज मानकों के अनुसार होनी चाहिये ।
15. आनुवंशिक शुद्धता ( Genetic Purity ) -
बीज की आनुवंशिक शुद्धता का प्रमाणीकरण आवश्यक होता है । आनुवंशिक शुद्धता का आधार बीज के लिये 99:50 प्रतिशत तथा प्रमाणित बीज के लिये 99 प्रतिशत निम्नतम मानक निर्धारित किया गया है ।
16. बीज की अमान्यता ( Discard of Seed ) -
बीज का उपयुक्त मानकों के अनुरूप न होने पर प्रमाणीकरण नहीं किया जाता है ।
17. प्रमाण पत्र, लेबल एवं मोहर लगाना ( Tagging , labeiling and Sealing ) -
प्रमाणीकृत बीज पर आवश्यक सूचनाओं एवं मानकों युक्त प्रमाण पत्र एवं लेबल लगाना तथा थैलों अथवा बोरों को मोहर बन्द करना आवश्यक होता है ।
18. वैधता अवधि ( Legitimate Period ) -
प्रमाण पत्र पर वैधता अवधि का निर्देशन आवश्यक है ।
विशिष्ट फसल मानक ( Specific Crop Standard )
बीज की आनुवंशिक एवं भौतिक शुद्धता तथा गुणवत्ता के अनुरक्षण के लिये विभिन्न फसलों के विशिष्ट मानक निर्धारित किये गये हैं ।
इन्हें दो वर्गों में रखा गया है -
1. बीज फसल मानक ( Seed crop standard )
2. बीज मानक ( Seed Standard )
बीज फसल मानक ( Seed Crop Standard ) -
मौलिक रूप से बीज का उत्पादन बीज फसल पर निर्भर करता है अत: बीज फसल पर प्रभावी नियन्त्रण रखने के लिये विशिष्ट मानक निर्धारित किये गये है जिन्हें बीज फसल मानक कहते हैं इनका उद्देश्य आनुवंशिक एवं भौतिक रूप से शुद्ध बीज का उत्पादन है ।
इसमें निम्न मानक सम्मिलित है -
1. पिछली फसल ( Previous Crops )
बीज फसल उस खेत में बोनी चाहिये जिसमें उस फसल की दूसरी किस्म विशेष समय ( Specific time ) पहले न उगाई गई हो, क्योकि पहली किस्म अर्थात् पिछली फसल का बीज खेत में उग सकता है जिससे उस फसल की आनुवंशिक गुणता प्रभावित हो सकती है ।
अत: पिछली फसल सम्बन्धी मानक निर्धारित किये गये हैं ।
इन मानकों का सम्बन्ध मृदा जन्य रोगों ( Soil born disease ) से भी है ।
पिछली फसल सम्बन्धी आवश्यकताओं के कुछ उदाहरण निम्नलिखित है -
चावल, गेहूँ, जौं, जई इत्यादि को ऐसे खेत में ही उगाना चाहिये जिसमें पिछले मौसम में समान प्रकार की फसल की दूसरी किस्म न उगाई गयी हो ।
यदि उगाई गई है तो वही प्रमाणिक किस्म हों । मक्का, कपास इत्यादि में भूमि स्वैच्छिक पौधों से मुक्त होनी चाहिये ।
झंगफली, उरद, मूंग, मंसूर इत्यादि में पिछले दो मौसमों में उस फसल की दूसरी किस्म न उगायी गई हो तथा यदि उगाई गयी है तो वह प्रमाणित किस्म की होनी चाहिये ।
2. पार्थक्यता मानक ( Isolation Standard ) -
उस फसल की दूसरी किस्मों से उपयुक्त पार्थक्य ( isolation ) होना आवश्यक होता है ।
विभिन्न फसलों में इसका निर्धारण परागण की विधि ( Triode of pollination ) तथा जनन विधि ( moxic of reproduction ) इत्यादि पर निर्भर करता है ।
अन्तर्राष्ट्रीय सस्य उन्नयन संघ ने प्रत्येक फसल के लिये पार्थक्य दूरी निर्धारित कर रखी है । जिसके कुछ उदाहरण निम्नलिखित जावल, गेहूँ, जौ तथा जईं में न्यूनतम पार्थक्य दूरी 3 मीटर होनी चाहिए ।
प्याज, गाजर, संकर बाजरे में आधार बीज के लिये 1000 मीटर होनी चाहिये । अरहर के आधार बीज के लिये 200 मीटर होनी चाहिये ।
3. फसल निरीक्षण ( Crop Inspe tion ) -
प्रमाणीकरण अधिकृत निरीक्षकों क द्वारा खेत का निरीक्षण आवश्यक होता है ।
खेत के संलवन ( harvesting ) से पहले अन्य किस्मों एक फसलों के साथ मिश्रण, पार्थक्य मानक, रोग एवं कीटों के प्रभाव तथा खतरनाक खरपतवारों के लिये निरीक्षण किया जाता है । बीज फसल का निरीक्षण कई बार किया जाता है ।
अतः विभिन्न फसलों में निम्नतम निरीक्षणों की संख्या निर्धारित की गयी हैं ।
उदाहरणत: चावल, गेहूँ, जौं, जई, अरहर, सोयाबीन के लिये न्यूनतम निरीक्षणों की संख्या 2 होनी चाहिये तथा ये निरीक्षण पुष्पन अवस्था से फसल की कटाई तक होने चाहिये ।
संकर ज्वार तथा संकर बाजरे में न्यूनतम 4 निरीक्षण होने चाहिये ।
इनमें प्रथम निरीक्षण पुष्पन से पूर्व द्वितीय एवं तृतीय पुष्पन अवधि में तथा चतुर्थ फसल कटाई से पूर्व होना चाहिये ।
4. खतरनाक खरपतवार ( Noxious Weeds ) -
बीज फसल में उगने वाले हानिकारक खरपतवारों के सम्बन्ध में मानक निर्दिष्ट किये गये हैं ।
बीज शुद्धता के लिये बीज फसल को इन खरपतवारों से बचाना आवश्यक होता है विभिन्न फसलों के लिए आपत्ति - जनक खतरनाक खरपतवारों की जातियों की पहचान की गयी है ।
इन खरपतवारों के बीजों का आकार आकृति बीज फसल से समानता रखता है इनका जीवन चक्र बीज फसल के समान होता है । इन्हें फसल से निष्कासित करना अति दुष्कर होता है ।
ये विषैले एवं हानिकारक होते हैं तथा परपोषी नाशकों के वाहक होते हैं ।
उदाहरणत: गेहूँ में हिरनखुरी ( Convomulus arvensis ), बन्दरी ( Phalaris minor ), सरसों में सत्यानाशी ( Argimone maxicana ) |
5. रोग एवं कीट ( Disease and Insect ) -
खेत निरीक्षण में रोग एवं कीट ग्रस्त पौधों को निकालना आवश्यक है जिससे इनके संक्रमण को रोका जा सकता है । विभिन्न फसलों के लिये नाशक निर्दिष्टक किये गये हैं ।
उदाहरणतः गेहूँ में अनावृत कंड ( loose Smut ), इयर काँकल तथा हुँडु रोग, बाजरे में, दाना कंड, ग्रीन इयर तथा अर्गट, सरसों में आल्टनेंरिया ब्लाइट ।
6. भिन्न पौधे ( Different Plants ) -
इस संवर्ग में ऐसे पौधे सम्मिलित किये जाते हैं जो कि बीज फसल की किस्म के अतिरिक्त उस फसल की दूसरी किस्मों के पौधे या जिनके गुण बीज फसल की किस्म में नहीं मिलते हैं ।
इन पौधों से बीज फसल किस्म से संकरण हो सकता है या इनका यांत्रिक मिश्रण हो सकता है जिससे बीज फसल की आनुवंशिक शुद्धता घटती है ।
7. अन्य फसलों के पौधे ( Other Crop Plants ) -
बीज फसल में अन्य फसलों के पौधे भी उग जाते हैं जिनकी सामान्य पहचान कठिनता से हो पाती हैं । ये अपृथक्करणीय अन्य फसलों के संवर्ग में आती हैं ।
इनका बीज, बीज फसल किस्म में मिश्रित हो सकता है जिससे बीज की भौतिक शुद्धता प्रभावित होती है ।
जैसे गेहूँ में जौं, जई, चना, जई, गेहूँ, चना ।
बीज मानक ( Seed Standard ) -
शुद्ध बीज से तात्पर्य केवल उस निश्चित किस्म के बीज से है ।
बीज की आनुवंशिक एवं के अनुरक्षण के लिये फसल वृद्धि की अवधि में विभिन्न अवस्थाओं में बीज फसल का निरीक्षण किया जाता है तथा संदूषकों व संदूषण करने वाले कारकों का परीक्षण किया जाता है ।
बीज फसल में संदूषकों के मानक निर्धारित किये गये हैं ।