विभिन्न प्रक्षेत्र विशेषज्ञों (Farm Management expert) जैसे Adams and App. आदि के अनुसार विशिष्ट खेती उस (farm) को कहते हैं।
जहां एक ही साधन (source) या (enterprise) से फार्म की कुल आय का 50 प्रतिशत या इससे अधिक भाग प्राप्त हो जाता है ।
विशिष्ट खेती किसे कहते है अर्थ एवं परिभाषा (Meaning & Defination of specialized farming in hindi)
विशिष्ट खेती किसे कहते है इसके लाभ एवं दोष |
विशिष्ट खेती की परिभाषा (Defination of specialized farming)
Hopkins के अनुसार विशिष्ट खेती की परिभाषा,
"बाजार के लिये केवल एक ही पदार्थ का उत्पादन करना विशिष्टीकरण माना जा सकता है, जिससे कृषक आय के एक ही स्रोत पर निर्भर करता है, विशिष्ट खेती कहलाता है ।"
संयुक्त राज्य अमेरिका की जनगणना से विशिष्टीकरण को उत्पादन की एक विशेष प्रणाली बतलाया है, जिसमें 50 प्रतिशत या अधिक आय किसी एक साधन से होती है ।
आय का अर्थ विक्रय तथा प्रयोग किये गये माल के योग से है ।
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उपरोक्त परिभाषाओं के अनुसार विशिष्ट खेती क्या है?
एक फार्म जिस पर 50 प्रतिशत या अधिक आय गन्ने से है तो वह फार्म गन्ना फार्म (sugarcane farm) कहलायेगा ।
इसी प्रकार जहाँ पर 50 प्रतिशत या अधिक आय सब्जी से प्राप्त होती है तो वह सब्जी फार्म (vegetable farm) कहलायेगा आदि ।
इन मुख्य उद्यम (main enterprise) मुख्य उद्यम (main enterprise) सहायक (subsi diary sources of income) उद्यम सहायक (subsi diary) ।
विशिष्ट खेती किसे कहते है, इसके लाभ एवं दोष |
(23 enterprises enterprises) फार्मों पर की जाने वाली खेती क्रमश: (sugarcane farming) तथा (vegetable farming) कहलायेगी ।
इसी प्रकार से (cotton farm, wheat farm, poultry farm तथा dairy farm) आदि हो सकते हैं ।
ऐसे फार्मों पर आय का प्रमुख स्रोत प्राय: एह की होता है, आय के अन्य साधन गौण या सहायक (subsidiary) होते हैं ।
आय के प्रमुख स्रोत के अनुसार ही फार्म का नाम होता है ।
सभी सहायक व्यवसायों से आय 50 प्रतिशत या इससे कम ही प्राप्त होती है ।
विशिष्ट खेती के क्या लाभ है? (Advantages of specialied farming in hindi)
विशिष्ट खेती के प्रमुख चार लाभ निम्न है -
1. भूमि का उत्तम उपयोग2. कम श्रम व औजारों की आवश्यकता
3. महंगे तथा अच्छी क्षमता वाले यन्त्रों का प्रयोग सम्भव
4. सरलतापूर्वक खेती का प्रारम्भ
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इसके अतिरिक्त विशिष्ट खेती के लाभ निम्नलखित होते है -
1. भूमि का उत्तम उपयोग (Better use of land) -
जो भूमि जिस फसल के लिये अधिक उपयुक्त हो उस पर वही फसल उगाना अधिक लाभदायक रहेगा । उदाहरणार्थ नम व दलहनी भूमि पर धान और जूट की फसलें सफलतापूर्वक ली जा सकती हैं ।
2. उत्तम विपणन (Better Marketing) -
फार्म पर मुख्य उद्यम (Main Enterprise) का कल उत्पादन इतना होता है, कि उसकी थोक बिक्री तथा उसकी पैदावार के लिये आवश्यक सामग्री की खरीद सरल और लाभदायक रहती हैं ।
3.उत्तम प्रबन्ध (Better Management) -
फार्म पर उद्यमों (Enterprises) की संख्या कम होने के कारण उनकी देखभाल व प्रबन्ध भली - भाँति किया जा सकता है । ऐसी दशा में उद्यमों (Enterprises) की अपेक्षा नहीं की जा सकती तथा अपव्यय व क्षति के साधनों और कारणों को सफलतापूर्वक ज्ञात किया जा सकता है ।
4. कम श्रम व औजारों की आवश्यकता (Lesser Need of Labour and Implements) -
ऐसे फार्मों पर मशीनों व श्रमिकों की आवश्यकता कम पड़ती है । फल उगाने वाल । कषक को केवल फसलोत्पादन सम्बन्धी मशीनों आदि की आवश्यकता होगी तथा श्रमिकों का आवश्यकता भी कम होगी ।
5. महंगे तथा अच्छी क्षमता वाले यन्त्रों का प्रयोग सम्भव (Use of Costly and Frient Machines Possible) -
एक गेहूं के फार्म पर (Combine - harvester and Thresher) मशीन को रखा जा सकता है । इससे फसल की कटाई, मड़ाई, सफाई बोरों में भराई व तुलाई आदि सभी कार्य हो जाते हैं ।
6. क्षमता और कार्यकुशलता में वृद्धि (Increase in Efficiency and Skill) -
ऐसे पर मनष्य को प्रतिदिन एक ही प्रकार का कार्य करना पड़ता है, जिससे वह उसमें दक्ष हो जाता तथा उसकी कार्यकुशलता बढ़ जाती है और फार्म - व्यय कम हो जाता है ।
7. सरलतापूर्वक खेती का प्रारम्भ (Easy to Start Farming) -
इस प्रकार के फार्मों पर एक या दो (Enterprises) ही होते है, अत: थोड़ी पूँजी व औजारों की सहायता से कृषि कार्य प्रारम्भ किया जा सकता है ।
8. त्रुटियों की कमी (Lesser Mistakes) -
ऐसे फार्मों पर देखभाल आसानी से की जा सकती है तथा फार्म का प्रबन्ध भी अधिक अच्छा होता है । अत: फार्म पर होने वाली त्रुटियों की संख्या अवश्य ही कम हो जाती है ।
9. पर्याप्त अवकाश (More Spare Time) -
जीवन का आनन्द प्राप्त करने का कृषक को पर्याप्त अवसर मिल जाता है, क्योंकि बड़े व कठिन कार्य सरलतापूर्वक शीघ्र ही मशीनों से हो जाते है।
10. विशिष्ट उत्पादन सम्भव (Specialized Production Possible) -
एक ही प्रकार की उपज अधिक मात्रा में उगाई जा सकती है जैसे खाद्य समस्या को हल करने के लिए केवल अन्न की फसल उगाना ।
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विशिष्ट खेती के क्या दोष है (disadvantage of Specialized farming)
विशिष्ट खेती के दोष निम्न प्रकार है -
1. अधिक जोखिम2. उत्पत्ति के साधनों का पूर्ण उपयोग न होना
3. भूमि की उर्वरा शक्ति का ह्रास
4. उप - फल (अप्रधान पदार्थ) का अनुचित उपयोग
5. अनियमित आय
6. सामान्य ज्ञान की कमी
7. मजदूरों व यन्त्रों का उचित प्रयोग न होना
विशिष्ट खेती के दोष निम्नलिखित है -
( 1 ) अधिक जोखिम (Great Risk) -
मौसम तथा बाजार के साथ - साथ प्रतिकूल होने पर कृषक दिवालिया हो सकता है । यदि मुख्य उद्यम (Main Enterprise) ही नष्ट हो जाये तो कृषक भी पूर्ण रूप से बर्बाद हो जायेगा ।
( 2 ) उत्पत्ति के साधनों का पूर्ण उपयोग न होना (Improper use of Production Resources) -
ऐसे फार्मों पर भूमि, श्रम व पूँजी आदि का सदुपयोग नहीं हो पाता ।
उदाहरणार्थ यदि कोई फार्म मक्का की खेती में ही विशिष्टता रखता है तो उसकी खेती से सम्बन्धित कृषि औजारों व मशीनों का उपयोग केवल जून से अक्तूबर - नवम्बर तक ही होगा । वर्ष के महीनों में उनका कोई भी उपयोग नहीं होगा जो एक बड़ी कमी है ।
( 3 ) भूमि की उर्वरा शक्ति का ह्रास (Soil fertility impaired) -
मुख्य उद्यम (Main Enterprise) एक ही फसल बार - बार उगाने से उचित फसल - चक्र के अभाव में भूमि की उर्वरा शक्ति का ह्रास होने लगता है, क्योंकि मृदा (soil) से विशेष रूप से लगातार एक ही प्रकार के खाद्य तत्व शोषित होते रहते हैं ।
( 4 ) उप - फल (अप्रधान पदार्थ) का अनुचित उपयोग (Improper use of byproduct) -
विशिष्ट फार्मों पर पशुओं की संख्या अपेक्षाकृत कम होती है । अत: भूसा, करबी, अगाल आदि उप - फलों का सदुपयोग नहीं हो पाता ।
( 5 ) अनियमित आय ( Irregular Income ) -
ऐसे फार्मों पर आय फसल की कटाई के मय अर्थात् वर्ष में केवल विशिष्ट अवसरों पर एक या दो बार ही प्राप्त होती है । इसका एक कारण फार्म पर थोड़े धन्धे होना भी है ।
( 6 ) सामान्य ज्ञान की कमी (Lack of General Knowledge) -
ऐसे फार्मों पर कुछ हो (enterprises) रखे जाते है, अत: फार्म - प्रबन्धक को फार्म के विभिन्न व्यवसायों का ज्ञान व अनुभव नहीं हो पाता ।
( 7 ) मजदूरों व यन्त्रों का उचित प्रयोग न होना (Lack of Proper Use of Labour and Agril Implements) -
ऐसे फार्मों पर वर्ष भर काम न मिलने के कारण मजदूर व यन्त्रों का समुचित प्रयोग नहीं हो पाता ।भारत में विशिष्ट कृषि का क्षेत्र बहुत ही सीमित है । कुछ भागों में जैसे शहरों के पास (Vegetable farming), चीनी मिलों के पास (Sugarcane farming), पहाड़ी प्रदेशों में जहाँ पर आवागमन के साधन हैं, फलोत्पादन (Fruit Farming) आदि की जाती है ।
Bahut acha.. 👌👌
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