पौधों को तैयार करने के लिए बीज शैय्या की क्यारियाँ निम्न तरीके द्वारा तैयार की जाती है ।
जिस भूमि में बीज की क्यारियाँ बनानी होती है उसको गर्मी के दिनों में पर्याप्त गहरा (60 - 90 सेमी०) खोद कर कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ दिया जाता है जिससे भूमि में उपस्थित कीड़ों के अंडे बीमारियों के कीटाणु व खरपतवार नष्ट हो जाते हैं ।
नर्सरी में बीज शैय्या की तैयारी कैसे करें? | Preparation of Seed Beds in narsary in hindi
बीज शैय्या की तैयारी कैसे करें पूरी जानकारी हिंदी में
फल, सब्जी तथा फूलों के पौधों को पहले नर्सरी में तैयार करने के लिए बीज को क्यारियों में बोया जाता है तत्पश्चात् उनको स्थाई स्थान का चुनाव कर लगाया जाता है ।
फल वृक्षों को बहुत ही कम बीज से तैयार किया जाता है ।
कुछ ही फल ऐसे हैं जिनको बीज की सहायता से तैयार करते हैं ।
शेष फलों के वृक्षों को वानस्पतिक तरीके द्वारा पैदा किया जाता है और उनके लिए प्रयोग होने वाले मूलवृन्तों को बीज की सहायता से ही बीज की क्यारियो में तैयार किया जाता है ।
सब्जियों फलों तथा फूलों की पौध लकड़ी के बक्सों मिट्टी के बर्तनो या खुले में नर्सरी की क्यारियों में उगाई जा सकती हैं ।
उपरोक्त स्थानों में से पौध कहीं भी उगाई जाए वहाँ की मिट्टी अच्छी भौतिक दशा वाली होनी चाहिए ।
मिट्टी हल्की , भुरभुरी एवं पानी को जल्द सोखने वाली तथा सतह पर जल्दी सूखने वाली होनी चाहिए लेकिन एकदम सूखने वाली भी नहीं होनी चाहिए ।
मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व होने चाहिए जिससे पौधो की उचित वृद्धि हो सके । पर्याप्त जीवांशयुक्त दोमट या बलुई दोमट मिट्टियाँ अच्छी रहती है ।
मिट्टी को मृदा जनित रोगों विशेषकर डेम्पिंग ऑफ फफूंद से मुक्त रखने के लिए उसे शेल स्वाइल फ्यूमीगेट फारमल्डीहाइड , भाप , क्लोरोपिकरिन , कॉपर ऑक्साइड या कार्बोनेट या किसी भी निर्जीकारक पदार्थ से उपचारित करना चाहिए ।
मेहता (1959) ने भूमि में निर्जर्मीकरण के लिए निम्न विधि प्रस्तावित की है -
फार्मलीन के एक भाग को पानी के 100 भाग में मिलाकर 4.5 लि. प्रति 1.0 वर्ग मीटर भूमि की दर से 152.40 मिमी० की गहराई तक की मिट्टी में अच्छी तरह मिलाकर मिट्टी को संतृप्त कर दिया जाता है ।
मिट्टी को एक दिन के लिए बोरों या मोटे कागज से ढक दिया जाता है जिससे फार्मलीन की धूम मिट्टी के कण - कण में घसकर सभी प्रकार के कवकों तथा कीड़ों को मार सके ।
इसके उपरान्त मिट्टी को खोद कर कुछ दिनों के लिए फैला दिया जाता है, जिससे फार्मलीन की महक समाप्त हो जाए ।
बीज की पंक्तियों की तैयारी कैसे करें?
बीज की पंक्तियां |
बीज बोने वाली क्यारियों की भूमि में अच्छी सड़ी गोबर की खाद अथवा कम्पोस्ट खाद पर्याप्त मात्रा में देकर भूमि में मिला देना चाहिए ।
बीज बोने की क्यारियों को अधिकतर 4.5x1.20 मीटर आकार देकर जमीन से लगभग 15 - 22.5 सेमी० उठाकर बनाया जाता है।
जिससे वर्षा का या अन्य अनावश्यक पानी रुककर छोटे व कोमल पौधों को सड़ा - गला न सके ।
दो क्यारियों के मध्य एवं चारों तरफ लगभग 30 सेमी० का रास्ता होना आवश्यक होता है जिससे सिंचाई एवं खरपतवारों को बिना क्यारियों में प्रविष्ट हए निकाला जा सके ।
Raising of Seedlings : -
नर्सरी क्यारियों में बीज सामान्यत: बखेर कर बोते है, यह कोई उचित तरीका नहीं है ।
इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बीज बोते समय हवा न बह रही हो ।
बिखेरकर अथवा छिटकवा बोने से नव अंकुरित पौधों को आर्द्र पतन रोग से मरने का काफी भय रहता है ।
अत: बीजों को पंक्तियों में या क्यारी की चौड़ाई में U के आकार की नालियों में बोना चाहिए ।
बीज बोने के लिए बनाई गई पंक्तियाँ बीज के आकार एवं किस्म के अनुसार 5 से 7.5 सेमी० दूरी पर बनानी चाहिए ।
फल वाले पौधों के बीज से बीज का अन्तर अधिक रखा जाता है ।
इस प्रकार से खरपतवारों को उखाड़ने रोगों की रोकथाम तथा रोपाई के लिए पौध निकालने में सुविधा रहती है ।
बीजों को बोने के उपरान्त खाद तथा मिट्टी की पतली तह से ढक देना चाहिए ।
नमी को अधिक दिनों तक सुरक्षित रखने के उद्देश्य से क्यारियों के ऊपर सूखी पत्तियों अथवा सूखे कूड़े - करकट की पतली तह लगा देनी चाहिए ।
Care of Seed bed after Sowing : -
बीज की क्यारियों में पानी एक समान अथवा बहुत सावधानी से लगाना चाहिए । जिससे क्यारियों की मिट्टी कटकर बह न सके ।
बीज की क्यारियाँ आमतौर पर पानी के साधन के पास बनानी चाहिए जिससे समय पर उनमें पानी दिया जा सके ।
नर्सरी की प्रारम्भिक अवस्था में यदि धूप बहुत तेज हो तो दिन में पौधों को पत्तियों या फस के छप्पर ढककर तेज धूप से बचाना चाहिए ।
जब पौधे कछ बड़े हो जाएं तो उन्हें अधिक धूप तथा पानी कम देना चाहिए ।
ऐसा करने से पौधे मोटे तथा बोने होने के साथ - साथ उन पर कीट एवं बीमारियों के प्रकोप भी कम होते हैं ।
क्यारियों में अगर कछ पौधे शीघ्र पतन रोग से ग्रसित हो गये हों तो उनको अतिशीघ्र उखाड़ कर अलग कर देना चाहिए तथा उनका अधिक धूप एवं कम से कम पानी देना चाहिए ।
पौधों को कठोर बनाने के उद्देश्य से प्रतिरोपण के एक सप्ताह पहले पौधों में सिंचाई कम करके अधिक से अधिक धूप प्रदान करनी चाहिए ।
ऐसा करने से पौधे प्रतिरोपण के बाद लगने वाले धक्के को आसानी से सह सकते हैं ।
पौधों का रोपण करना कैसे करें? ( Transplanting ) -
जब पौधे बढ़कर 8 - 10 सेमी० ऊंचे हा जाँ तो उनका प्रतिरोपण कर देना चाहिए ।
फल तथा सब्जियों के पौधों को नर्सरी से उठाकर खेत में स्थाई स्थान पर लगा देते हैं लेकिन फल वाले पौधों को एक क्यारी से उठाकर दूसरा यारी में अधिक अन्तर (22.5X22.5 सेमी०) पर लगा देते हैं ।
जब ये एक वर्ष के हो जाए तो उनको या तो स्थाई स्थान पर लगा देते हैं या फिर उन पर अच्छी शाख या कलिका द्वारा गोषण अथवा कलिकायन का क्रिया कर देते हैं ।
क्रिया सफल होने के पश्चात जब नये पाच से बन जाते हैं तो उनको उठाकर स्थाई स्थान पर लगा देते हैं अथवा बाहर भेज देते हैं ।