भारत के सर्वश्रेष्ठ 50 कृषि विश्वविद्यालयों की सूची ( List of Best 50 Agricultural Universities in India )
भारत के सर्वश्रेष्ठ 50 कृषि विश्वविद्यालयों की सूची ( List of Best 50 Agricultural Universities in India ) |
स्वतंत्रता के समय कृषि एवं पशुपालन की शिक्षा अलग - अलग कॉलेजों में दी जाती थी ।
ये कॉलेज विभिन्न प्रदेश सरकारों के अधीन थे , और ये संबंधित विषय में केवल ट्रेनिंग देते थे ।
( USA ) में कृषि शिक्षा संस्थानों द्वारा शिक्षा , शोध एवं प्रसार ( education , research and extension ) तीनों क्रियाएँ की जाती थीं ।
इसके परिणामस्वरूप , वहाँ की कृषि में अभूतपूर्व प्रगति हुई ।
इसे देखते हुए भारत में भी ऐसे विश्वविद्यालयों की स्थापना का विचार किया गया , जिनमें कृषि एवं पशुपालन विषयों की शिक्षा , शोध एवं प्रसार तीनों की समुचित व्यवस्था हो । इन विश्वविद्यालयों को कृषि विश्वविद्यालय कहा गया ।
भारत का प्रथम कृषि विश्वविद्यालय ( First Agricultural University of India )
भारत में सर्वप्रथम कृषि विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश के नैनीताल जिले के पंतनगर नामक स्थान में 1960 में स्थापित किया गया ।
इसकी स्थापना के एक वर्ष के भीतर कई अन्य प्रदेशों से भी कृषि विश्वद्यिालयों की स्थापना की माँग की गई ।
इन विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए 1962 में एक प्रतिरूप या मॉडल अधिनियम ( Mudel Act ) तैयार किया गया ।
जिस प्रदेश में कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना होनी होती है , उस प्रदेश की सरकार इस मॉडल अधिनियम को आवश्यकतानुसार परिवर्तनों के साथ पास करती है ।
इसके बाद किसी उपयुक्त स्थान पर विश्वविद्यालय की स्थापना की जाती है ।
भारतवर्ष में कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना व विकास में सं . रा . अमेरिका ( USA ) के लैंड - ग्रांट ( land - grant ) विश्वविद्यालयों द्वारा काफी सहयोग दिया गया ।
इन विश्वविद्यालयों में बहुत से भारतीय वैज्ञानिकों / अध्यापकों को ट्रेनिंग दी गई तथा भारतीय विश्वविद्यालयों को शिक्षा एवं शोध संबंधी उपकरण भी दिए गए ।
अब तक लगभग सभी प्रांतों में कम से - कम एक कृषि विश्वविद्यालय खोला जा चुका है ; कुछ प्रान्तों में तो 3 - 4 कृषि विश्वविद्यालय तक हैं कोठारी कमीशन ( 1964 - 1966 ) की रिपोर्ट के आधार पर कई प्रान्तों में कृषि शोध की पूरी जिम्मेदारी कृषि विश्वविद्यालयों को दे।
इन विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए 1962 में एक प्रतिरूप या मॉडल अधिनियम ( Mudel Act ) तैयार किया गया ।
उत्तर प्रदेश में कितने कृषि विश्वविद्यालय है ( How many agricultural universities are there in Uttar Pradesh )
जिस प्रदेश में कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना होनी होती है , उस प्रदेश की सरकार इस मॉडल अधिनियम को आवश्यकतानुसार परिवर्तनों के साथ पास करती है ।
इसके बाद किसी उपयुक्त स्थान पर विश्वविद्यालय की स्थापना की जाती है ।
भारतवर्ष में कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना व विकास में सं . रा . अमेरिका ( USA ) के लैंड - ग्रांट ( land - grant ) विश्वविद्यालयों द्वारा काफी सहयोग दिया गया ।
इन विश्वविद्यालयों में बहुत से भारतीय वैज्ञानिकों / अध्यापकों को ट्रेनिंग दी गई तथा भारतीय विश्वविद्यालयों को शिक्षा एवं शोध संबंधी उपकरण भी दिए गए ।
अब तक लगभग सभी प्रांतों में कम से - कम एक कृषि विश्वविद्यालय खोला जा चुका है ; कुछ प्रान्तों में तो 3 - 4 कृषि विश्वविद्यालय तक हैं कोठारी कमीशन ( 1964 - 1966 ) की रिपोर्ट के आधार पर कई प्रान्तों में कृषि शोध की पूरी जिम्मेदारी कृषि विश्वविद्यालयों को दे।
भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कृषि है, एवं इस क्षेत्र में मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है।
कृषि में स्नातक (Graduate) या स्नातकोत्तर (Post Gradute) की डिग्री लेने के बाद, कोई भी अपना निजी काम ( Agri- business) कर सकता है, साथ ही सरकारी क्षेत्र में एक उच्च भुगतान नौकरी प्राप्त कर सकता है।
कृषि विधार्थी एक कृषि अधिकारी, उत्पादन प्रबंधक, अनुसंधान वैज्ञानिक, फार्म मैनेजर आदि के रूप में काम कर सकते है।
भारत में कितने कृषि विश्वविद्यालय है ( How many agricultural universities are there in India )
कृषि में स्नातक (Graduate) या स्नातकोत्तर (Post Gradute) की डिग्री लेने के बाद, कोई भी अपना निजी काम ( Agri- business) कर सकता है, साथ ही सरकारी क्षेत्र में एक उच्च भुगतान नौकरी प्राप्त कर सकता है।
कृषि विधार्थी एक कृषि अधिकारी, उत्पादन प्रबंधक, अनुसंधान वैज्ञानिक, फार्म मैनेजर आदि के रूप में काम कर सकते है।
जो लोग कृषि क्षेत्र में एक अच्छे करियर की तलाश में हैं, उनके लिए किसी भी प्रतिष्ठित संस्थान या विश्वविद्यालय में सर्वश्रेष्ठ शिक्षा, अच्छे संकाय, अच्छी तरह से सुसज्जित पुस्तकालयों और प्लेसमेंट सेल के रूप में अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए प्रवेश लेना चाहिए।
भारत के सर्वश्रेष्ठ 50 कृषि विश्वविद्यालयों की सूची ( List of Best 50 Agricultural Universities in India )
भारत के सर्वश्रेष्ठ 50 कृषि विश्वविद्यालयों की एक सूची यहां दी गई है:-
1. आचार्य एनजी रंगा कृषि यूनिव, राजेंद्रनगर, हैदराबाद, ए.पी.।
3. उद्यानिकी विज्ञान विश्वविद्यालय, वेंकटरामनगुडेम, पश्चिम गोदावरी।
6. इंद्र गांधी कृषि विश्व विद्यालय, कृषक नगर, रायपुर, छत्तीसगढ़।
11. चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, इलिसार, हरियाणा।
18. कर्नाटक पशु चिकित्सा एनिमई और मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, पी / बी नंबर 6., नंदिनगर, बीदर -585401, कर्नाटक।
19. कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय धारवाड़, कर्नाटक।
25. डॉ। बालासाहेब सावंत कोंकण कृषि विद्यापीठ, दापोली, रत्नागिरी, महाराष्ट्र महाराष्ट्र पशु विज्ञान और मत्स्य विश्वविद्यालय, नागपुर, महाराष्ट्र।
30. कृषि और प्रौद्योगिकी, सिरीपुर, भुवनेश्वर, उड़ीसा।
32. गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, लुधियाना।
36. तमिलनाडु पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, माधवराम मिल्क कॉलोनी, चेन्नई -600051, तमिलनाडु।
38. नरेंद्र देव कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुमारगंज, फैजाबाद, यू.पी.।
39. सरदार वल्लभ भाई पटेल यूनीव।
41. के.आर. कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बांदा, उत्तर प्रदेश।
42. पंडित दीन दयाल उपाध्याय पशू चिक्त्स विज्ञान विज्ञान विश्वम् ईवम, गो अनुसन्धान संस्थान, मथुरा -281001, उत्तर प्रदेश।
44. बिधान चंद्र कृषि विश्व विद्यालय, पी.ओ. कृषि विश्व विद्यालय, मोहनपुर, नादिया -741252, पश्चिम बंगाल।
45. उत्तर बंग कृषि विश्वविद्याालय, पी.ओ. पुंडीबारी, जिला कूच बिहार।
46. पश्चिम बंगाल पशु और मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, 68 केबी सरानी, कोलकाता-700037, पश्चिम बंगाल।
47. सरदार कुशीनगर कृषि विश्वविद्यालय
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (NDRI), करनाल, हरियाना।
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (NDRI), करनाल, हरियाना।
48. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर), दिल्ली।
49. आचार्य एनजी रंगा कृषि विश्वविद्यालय (ANGRU), हैदराबाद।
50. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू), लुधियाना, पंजाब।
दी गई सूची, किन्तु कई प्रान्तों में इस संस्तुति का पूर्ण रूप से पालन नहीं किया किया ।
कृषि विश्वविद्यालयों को भा . कृ . अ . परिषद ( ICAR ) तथा संबंधित प्रदेश सरकारों द्वारा वित्तीय अनुदान ( financial assistance ) मिलता है ।
केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना ( Establishment of Central Agricultural University )
कृषि विश्वविद्यालयों को भा . कृ . अ . परिषद ( ICAR ) तथा संबंधित प्रदेश सरकारों द्वारा वित्तीय अनुदान ( financial assistance ) मिलता है ।
प्रत्येक कृषि विश्वविद्यालय संबंधित प्रदेश या उसके एक हिस्से में कृषि शिक्षा , शोध एवं प्रसार के लिए जिम्मेदार होता है ।
कृषि अनुसंधान का कार्य विश्वविद्यालय के शिक्षकों , शोध वैज्ञानिकों ( research scientists ) , समन्वित परियोजनाओं ( coordinated projects ) के वैज्ञानिकों एवं तदर्थ परियोजनाओं ( ad hoc projects ) के वैज्ञानिकों द्वारा किया जाता है ।
इसके अतिरिक्त , शोध छात्र ( research scholar ) भी मूल विषयों ( basic areas ) पर शोध कार्य करते हैं ।
कृषि विश्वविद्यालय के सभी अध्यापकों को अपना एक - तिहाई समय अनुसंधान कार्यों में लगाना अनिवार्य होता है , जबकि सभी शोध वैज्ञानिको ( research scientists ) को अपना एक - तिहाई समय शिक्षा कार्यों में लगाना पड़ता है ।
किसी वैज्ञानिक का शिक्षा सम्बन्धी पद से शोध वैज्ञानिक पद पर या इसके विपरीत स्थानांतरण किया जा सकता है ।
कृषि अनुसंधान का कार्य विश्वविद्यालय के शिक्षकों , शोध वैज्ञानिकों ( research scientists ) , समन्वित परियोजनाओं ( coordinated projects ) के वैज्ञानिकों एवं तदर्थ परियोजनाओं ( ad hoc projects ) के वैज्ञानिकों द्वारा किया जाता है ।
इसके अतिरिक्त , शोध छात्र ( research scholar ) भी मूल विषयों ( basic areas ) पर शोध कार्य करते हैं ।
कृषि विश्वविद्यालय के सभी अध्यापकों को अपना एक - तिहाई समय अनुसंधान कार्यों में लगाना अनिवार्य होता है , जबकि सभी शोध वैज्ञानिको ( research scientists ) को अपना एक - तिहाई समय शिक्षा कार्यों में लगाना पड़ता है ।
किसी वैज्ञानिक का शिक्षा सम्बन्धी पद से शोध वैज्ञानिक पद पर या इसके विपरीत स्थानांतरण किया जा सकता है ।
फसल सुधार में कृषि विश्वविद्यालयों का अत्यंत महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है ।
कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा लगभग प्रत्येक फसल की उन्नत एवं अधिक उपज देने वाली किस्मों का विकास किया गया है ।
यहाँ पर सभी कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा विकसित की गई किस्मों की सूची देना संभव नहीं है ; सिर्फ इतना कहना ही पर्याप्त है कि इन विश्वविद्यालयों के योगदान बिना भारतीय कृषि में हुआ क्रांतिकारी परिवर्तन शायद संभव न हुआ होता !
कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा लगभग प्रत्येक फसल की उन्नत एवं अधिक उपज देने वाली किस्मों का विकास किया गया है ।
यहाँ पर सभी कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा विकसित की गई किस्मों की सूची देना संभव नहीं है ; सिर्फ इतना कहना ही पर्याप्त है कि इन विश्वविद्यालयों के योगदान बिना भारतीय कृषि में हुआ क्रांतिकारी परिवर्तन शायद संभव न हुआ होता !
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