कृषि यन्त्रीकरण किसे कहते है इसके प्रकार, लाभ व हानियाँ एवं भारत में कृषि यन्त्रीकरण की आवश्यकता
कृषि यन्त्रीकरण किसे कहते है? Agricultural mechanization in hindi
भारत एक कृषि प्रधान देश है । इसकी 800 % प्रतिशत आबादी गाँवों में रहती है । ग्रामीणों का प्रमुख व्यवसाय कृषि है । कृषि से उत्पन्न अन्न ही समस्त संसार की क्षुधापूर्ति का साधन है ।
कृषि योग्य भूमि सीमित हैं तथा आबादी अत्यधिक तेजी से बढ़ रही है किन्तु आबादी के अनुपात में अन्न का उत्पादन नहीं बढ़ा है ।
अतः अन्न के उत्पादन में वृद्धि की आवश्यकता हुई किन्तु परम्परागत कृषि यंत्रीकरण (कृषि यन्त्रों) की सहायता से यह सम्भव नहीं था ।
कृषि योग्य भूमि सीमित हैं तथा आबादी अत्यधिक तेजी से बढ़ रही है किन्तु आबादी के अनुपात में अन्न का उत्पादन नहीं बढ़ा है ।
अतः अन्न के उत्पादन में वृद्धि की आवश्यकता हुई किन्तु परम्परागत कृषि यंत्रीकरण (कृषि यन्त्रों) की सहायता से यह सम्भव नहीं था ।
अतः वैज्ञानिकों ने उन कृषि यन्त्रीकरण / मशीनरी (Agriculture mechaniztion in hindi) का आविष्कार शुरू किया जिनके उपयोग से अन्न का उत्पादन बढ़ने लगा ।
वर्तमान में कृषि को परिष्कृत यन्त्रों का प्रयोग करके एक लाभदायक व्यवसाय के रूप में विकसित किया जा रहा है । परम्परागत यन्त्रों को भी वैज्ञानिक रूप से सुधारा जा रहा है ।
कृषि यन्त्रीकरण का महत्त्व ( Importance of Agricultural mechanization in hindi )
किसानों की आवश्यकता के अनुसार तीन प्रकार के यन्त्रों का विकास किया गया -
( 1 ) छोटे किसानों के लिये बैलों से चलने वाले विकसित यन्त्र ।
( 2 ) मझलें किसानों के लिये छोटे ट्रेक्टर तथा उनसे चलने वाले उपयुक्त यन्त्र ।
( 3 ) बड़े किसानों के लिये बड़े ट्रेक्टर तथा उनसे चलने वाले उपयुक्त यन्त्र ।
कृषि यन्त्रीकरण की परिभाषा ( Definition of agricultural mechanization in hindi )
कृषि यन्त्रीकरण की उचित परिभाषा निम्न प्रकार दी जा सकती कृषि यन्त्रीकरण का तात्पर्य है -
"कृषि में मानव वे पशु की शक्ति को मशीनी शक्ति से विस्थापित करना ।”
Farm machanization means “ The replacement of human and animal power by machanical power in Agriculture . ”
कृषि यन्त्रीकरण के प्रकार ( Types of Agricultural Mechanization in hindi )
कृषि यन्त्रीकरण के प्रकार यान्त्रिक कृषि मुख्यतः दो प्रकार की होती है -
( i ) पूर्णतः यान्त्रिक कृषि ( Complete mechanized farming )
( ii ) आंशिक यान्त्रिक कृषि ( Partial mechanized farming )
( i ) पूर्णतः यान्त्रिक कृषि -
जब कृषि से सम्बन्धित सभी कार्य मशीनों से किये जाये तो इसे पूर्णतः यान्त्रिक कृषि कहते हैं ।
जैसे — अमेरिका , आस्ट्रेलिया , कनाड़ा आदि देशों में ।
( ii ) आंशिक यान्त्रिक कृषि -
जब कृषि से सम्बन्धित कुछ कार्य मशीनों से तथा कुछ कार्य मानव व पशु श्रम से किया जाये तो इसे आंशिक यान्त्रिक कृषि कहते हैं।
जैसे — भारतीय कृषि ।
कृषि यन्त्रीकरण के लाभ ( Advantage of Mechanized farming )
कृषि यन्त्रीकरण के निम्नलिखित लाभ हैं -
( 1 ) प्रति इकाई कम उत्पादन व्यय होता है ( Less cost of production for per unit produce )
( 2 ) कम श्रम की आवश्यकता होती है । ( Less labour is required )
( 3 ) अनावश्यक व्यय की बचत होती है । ( Unimportant expenditure is saved )
( 4 ) समय की बचत होती है । ( Tirme is saved )
( 5 ) उत्पादन में वृद्धि होती है । ( Increase in production )
( 6 ) उत्पादन के प्रारम्भिक ऊंचे भाव प्राप्त होते हैं । ( High initial price of the produce is gained )
( 7 ) कार्य क्षमता बढ़ती है । ( Efficiency is increased )
( 8 ) ऊंची नीची भूमि को समतल करके खेती योग्य बनाया जा सकता है ।
( 9 ) प्रकृति पर निर्भरता घटती है ।
( 10 ) राष्ट्र के औद्योगीकरण को गति मिलती है ।
( 11 ) समय मिलने के कारण अन्य व्यवसायों की स्थापना की जा सकती है ।
कृषि यन्त्रीकरण से हानियाँ ( Disadvantages of Mechanized farming ) -
कृषि यन्त्रीकरण से निम्नलिखित हानियाँ हैं -
( 1 ) बेकारी की समस्या बढ़ती है । ( Increase in the problem of unemployment )
( 2 ) प्रारम्भिक खर्च अधिक होता है । ( Initial cost is high )
( 3 ) प्राविधिक शिक्षा की आवश्यकता होती है । ( Technical education is required )
( 4 ) पशुओं से प्राप्त अवशेष लाभ नहीं मिलते हैं जैसे खुर , सींग , खाल , माँस आदि । ( The profit of animal residues is not available )
( 5 ) पर्यावरण में वायु तथा ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है । ( Air and sound polution increase in the environment )
( 6 ) भारत में जोतों का आकार छोटा है । ( Size of Holding is small in India )
( 7 ) यहाँ पर खेत बिखरे हुए हैं । ( Here , the fields are scattered )
भारत में कृषि यन्त्रीकरण की आवश्यकता है ( There is a need for agricultural mechanization in India )
हमारे देश में कृषि यन्त्रीकरण की तीव्र आवश्यकता है । जिसके पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिये जा सकते हैं |
( 1 ) घटती हुई कृषि योग्य भूमि ( Decreasing cultivable Land ) -
भूमि पर अत्यधिक तेजी से बढ़ने वाली आबादी कृषि योग्य भूमि को भवन निर्माण उद्योग स्थापना आदि में प्रयोग कर रही है जिससे कृषि योग्य भूमि लगातार घटती जा रही है ।
भूमि घटने से कुल उत्पादन घटता है । इसकी पूर्ति हेतु खेतों में मशीनों का प्रयोग अत्यावश्यक है ।
भूमि घटने से कुल उत्पादन घटता है । इसकी पूर्ति हेतु खेतों में मशीनों का प्रयोग अत्यावश्यक है ।
( 2 ) बढ़ती हुई जनसंख्या ( Increasing Population ) -
जिस गति से जनसंख्या बढ़ रही हैं । उस अनुपात में कृषि का उत्पादन नहीं बढ़ा है ।
अतः इस बढ़ी हुई आबादी के भरण - पोषण हेतु कृषि में अधिकाधिक मशीनों का प्रयोग आवश्यक है ।
अतः इस बढ़ी हुई आबादी के भरण - पोषण हेतु कृषि में अधिकाधिक मशीनों का प्रयोग आवश्यक है ।
( 3 ) मजदूरों की कमी ( Lack of Labour ) -
आजकल औद्योगीकरण की गति काफी अधिक है । इन उद्योगों की स्थापना नगरों में या नगरों के आस - पास की जाती है ।
इन उद्योगों में अधिक रोजगार अवसवर तथा अधिक मजदूरी की दर के कारण ग्रामीण मजदूर नगरों की ओर जा रहे हैं । जिसके कारण गाँवों में मजदूरों की कमी हो गयी है ।
इस कमी की पूर्ति हेतु मशीनों का प्रयोग आवश्यक
इन उद्योगों में अधिक रोजगार अवसवर तथा अधिक मजदूरी की दर के कारण ग्रामीण मजदूर नगरों की ओर जा रहे हैं । जिसके कारण गाँवों में मजदूरों की कमी हो गयी है ।
इस कमी की पूर्ति हेतु मशीनों का प्रयोग आवश्यक
( 4 ) महंगी मजदूरी ( Costly Labour ) —
गाँवों में मजदूरों की संख्या घटने के कारण गाँव में मजदूरी की दर काफी बढ़ गयी है । इस बढ़ी हुई दर को एक साधारण किसान वहन नहीं कर सकता है ।
इसके अतिरिक्त बुवाई , कटाई , गहराई धान रोपण आदि के समय अत्यधिक मजदूरों की आवश्यकता होती है ।
इस कारण भी मजदूरी की दर बढ़ जाती है । इस स्थिति से निपटने के लिये मशीनों का प्रयोग आवश्यक है ।
इसके अतिरिक्त बुवाई , कटाई , गहराई धान रोपण आदि के समय अत्यधिक मजदूरों की आवश्यकता होती है ।
इस कारण भी मजदूरी की दर बढ़ जाती है । इस स्थिति से निपटने के लिये मशीनों का प्रयोग आवश्यक है ।
( 5 ) खरपतवारों में वृद्धि ( Increase in weeds )
आजकल प्रतिदिन नये - नये खरपतवार सामने आ रहे हैं जिनका नियन्त्रण उन्नत यन्त्रों द्वारा ही सम्भव है ।
( 6 ) पश व मानव शक्ति भारी कार्यों के लिये अनुपयुक्त
बड़े कार्य जैसे भूमि सुधार , जंगलों की सफाई , भूमि का समतलीकरण , मिट्टी चढ़ाना , टैरेस का बनाना आदि कार्य बिना मशीनी शक्ति अत्यधिक कठिन है ।
अत : यह कहा जा सकता है कि बिना मशीनीकरण के आधुनिक युग में कृषि कार्य असम्भव है ।
अत : यह कहा जा सकता है कि बिना मशीनीकरण के आधुनिक युग में कृषि कार्य असम्भव है ।
अत : कृषि के विकास के लिये कृषि का यन्त्रीकरण आवश्यक है ।
भारत में अभी तक कृषि यन्त्रीकरण की दिशा में उन्नति हुई है -
उन्न देशों से तुलना करने पर हम देखते हैं कि हमारे देश में कृषि यन्त्रीकरण अभी बाल्यावस्था में है।
किन्तु फिर भी भारतीय परिवेश के अनुसार भारत में कृषि यन्त्रीकरण की प्रक्रिया में काफी सुधार हुआ है तथा हो रहा है ।
किन्तु फिर भी भारतीय परिवेश के अनुसार भारत में कृषि यन्त्रीकरण की प्रक्रिया में काफी सुधार हुआ है तथा हो रहा है ।
यह बात निम्नलिखित प्रमाणों से स्पष्ट की जा सकती है ।
( 1 ) जुताई के यन्त्रों की उन्नति ( ट्रेक्टर , पावरटिलर आदि ) -
विश्व सर्वेक्षण से यह ज्ञात किया । गया है कि प्रति टन प्रति हेक्टेयर उपज के लिये 0 . 5 अश्व शक्ति की आवश्यकता होती है जबकि इस समय भारत में केवल 0 . 3 अश्वशक्ति प्रति हेक्टेयर ही उपलब्ध है ।
सप्तम पंचवर्षीय योजना के अन्त में ट्रेक्टरों की संख्या 1 करोड़ तथा पावर टिलर की संख्या 50 हजार है ।
सप्तम पंचवर्षीय योजना के अन्त में ट्रेक्टरों की संख्या 1 करोड़ तथा पावर टिलर की संख्या 50 हजार है ।
( 2 ) बीज शैया तैयार करने वाले यन्त्र -
भारत में भपरिष्करण यन्त्रों की माँग व पूर्ती लगातार बढ़ रही हैं ।
इस समय डिस्क की माँग 15000 प्रति वर्ष तथा पूर्ति 12 हजार प्रति वर्ष है । कृषि यन्त्रों का निर्माण करने के लिये लगभग 2000 लघु उद्योगों की स्थापना की जा चुकी है ।
इस समय डिस्क की माँग 15000 प्रति वर्ष तथा पूर्ति 12 हजार प्रति वर्ष है । कृषि यन्त्रों का निर्माण करने के लिये लगभग 2000 लघु उद्योगों की स्थापना की जा चुकी है ।
( 3 ) बुवाई तथा रोपाई यन्त्र -
देश में विभिन्न प्रकार के सीडड्रिल तथा प्लान्टर की माँग लगातार बढ़ रही है ।
इनके उत्पादन में 25 % वृद्धि हुई है । धान की रोपाई मुख्यतः हाथ से होती है । किन्तु कई संस्थाएँ इसका डिजाइन विकसित करने में |
इनके उत्पादन में 25 % वृद्धि हुई है । धान की रोपाई मुख्यतः हाथ से होती है । किन्तु कई संस्थाएँ इसका डिजाइन विकसित करने में |
( 4 ) सिंचाई -
गहरी व कम चौड़ाई की नालियाँ , पम्पिग सैट , इन्हें चलाने के लिये विद्युत मोटरों व इंजनों का निर्माण व वितरण तेजी से हो रहा है ।
आजकल लगभग 70 % किसानों के पास स्वयं के पम्पिग सैट है जिनकी सहायता से उत्पादन में लगभग 5 % की वृद्धि हुई है ।
आजकल लगभग 70 % किसानों के पास स्वयं के पम्पिग सैट है जिनकी सहायता से उत्पादन में लगभग 5 % की वृद्धि हुई है ।
( 5 ) कटाई , मड़ाई व औसाई यन्त्र -
धान को छोड़कर अन्य सभी फसलों के रीपर बाजार में उपलब्ध हैं । किन्तु इनका प्रयोग केवल बड़े व मंझले किसानों तक ही सीमित है ।
इसके अतिरिक्त कम्बाइन हारवेस्टर ( Combine Harvester ) तथा श्रेशर ( Thresher ) आजकल किसानों में काफी लोकप्रियता प्राप्त कर चुके हैं ।
अत : कहा जा सकता है कि कृषि यन्त्रीकरण के क्षेत्र में भारत ने काफी उन्नति की है और अभी भी काफी सम्भावनायें बाकी हैं ।
अत : कहा जा सकता है कि कृषि यन्त्रीकरण के क्षेत्र में भारत ने काफी उन्नति की है और अभी भी काफी सम्भावनायें बाकी हैं ।
भारत में कृषि यन्त्रीकरण कहाँ तक सम्भव है ( How far is agricultural mechanization possible in India )
भारत में यन्त्रीकरण की काफी सम्भावनायें विद्यमान है किन्तु इसके लिये निम्न कारकों को ध्यान में रखना आवश्यक है ।
( 1 ) प्रदर्शनियों का आयोजन –
समय - समय पर नये - नये यन्त्रों को प्रदर्शित करने पर ही कृषकों में यन्त्रों के प्रति आकर्षण बढेगा ।
अत : आवश्यक है कि कोई भी नया यन्त्र तैयार होने पर किसानों के समक्ष उसका प्रदर्शन किया जाये जहाँ पर उसके लाभ व प्रयोग विधि का विस्तारपूर्वक वर्णन किया जाये ।
अत : आवश्यक है कि कोई भी नया यन्त्र तैयार होने पर किसानों के समक्ष उसका प्रदर्शन किया जाये जहाँ पर उसके लाभ व प्रयोग विधि का विस्तारपूर्वक वर्णन किया जाये ।
( 2 ) अधिक लागत –
प्रायः कृषि यन्त्रों की कीमत अधिक होती है जो कि एक औसत किसान वहन नहीं कर पाता है । अतः सरकार को इन यन्त्रों की खरीद पर किसानों को छुट तथा निर्माताओं को अधिक सहायता देनी चाहिये ।
( 3 ) आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति -
कृषि यन्त्रों के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिये सरकार को इस्पात की आपूर्ती सुनिश्चित करनी चाहिये । इसके अतिरिक्त बिजली आदि की भी सुविधा उद्योगों को दी जानी चाहिये ।
( 4 ) यन्त्रों का स्वदेशीकरण -
ऐसे यन्त्रों का निर्माण किया जाना चाहिये जो भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल हो ।
( 5 ) प्राविधिक शिक्षा का विकास प्रायः किसान किसी यन्त्र को इसलिये नहीं खरीदना चाहता कि उसे उस यन्त्र के बारे में जानकारी नहीं होती और किसी छोटी - मोटी खराबी को भी वह ठीक नहीं कर पाता है और यन्त्र बेकार हो जाता है ।
अतः सरकार को चाहिये कि ऐसे प्रशिक्षण की स्थापना करे जहाँ पर किसान अपनी आवश्यकतानुसार प्रशिक्षण प्राप्त कर सकें ।
अतः सरकार को चाहिये कि ऐसे प्रशिक्षण की स्थापना करे जहाँ पर किसान अपनी आवश्यकतानुसार प्रशिक्षण प्राप्त कर सकें ।
( 6 ) सहकारी खेती का प्रचार –
बड़ी मशीनों का प्रयोग उसी स्थिति में लाभकारी तथा सम्भव है । जबकि खेतों का आकार बड़ा हो किन्तु भारत के जोतों का आकार काफी छोटा है ।
अतः खेतों का आकार बड़ा करने के लिये सहकारी खेती पर बल दिया जाना आवश्यक है ।
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